सूरत : ताकि कम से कम पूंजी रहे सलामत; भुगतान में विलंब करने वाले कपड़ा व्यापारियों से माल वापस मंगवाने की नीति अपना रहे वीवर

सूरत : ताकि कम से कम पूंजी रहे सलामत; भुगतान में विलंब करने वाले कपड़ा व्यापारियों से माल वापस मंगवाने की नीति अपना रहे वीवर

बिना किसी व्यापारी के जानपहचान के नए ग्राहक को माल देने से कतरा रहे हैं व्यापारी

एक तो वैसे हो कपड़ा बाजार में रौनक अभी तक नहीं लौटी है ऊपर से कपड़ा बाजार में भुगतान की समस्या से व्यापारी, संसाधक और बुनकर समेत तमाम लोग परेशान हैं। इस पर पिछले दिनों जिस तरह से ठग व्यापारियों ने अपने मंसूबों को अंजाम देने की योजना बनाई और ठगी की बहुत से मामले सामने आए उसके बाद से बाजार में अविश्वास का माहौल पैदा हो गया है। ऐसे में व्यवसायी अपनी पूंजी बचने के लिए एक सुरक्षित योजना बनाकर आगे बढ़ रहे हैं।

बीते दिनों सामने आए ठगी के कई मामले


आपको बता दें कि कपड़ा व्यापारियों का कहना है कि कपड़ा बाजार में कुछ लोग ठगी की नीयत से ही कारोबार शुरू कर देते हैं। धोखेबाजों का पूरा गिरोह अलग-अलग बाजारों में कारोबार करना शुरू कर देता है और एक-दूसरे का हवाला देकर बुनकरों से सामान खरीदता है। शुरुआत में भरोसा कायम करने के बाद बड़ी रकम की खरीदारी की जाती है। ऐसे मामलों में करोड़ों रुपये का नुकसान होने के बाद अब बुनकर सतर्क हो गए हैं।

बिना किसी जान पहचान के माल देने से बच रहे व्यापारी


कुछ बुनकर पुराने व्यापारियों के संदर्भ में ही माल देकर व्यापार करना पसंद करते हैं जबकि कुछ व्यापारियों ने उन व्यापारियों से उबरने का एक नया तरीका खोज लिया है जिन्होंने लंबे समय से भुगतान नहीं किया है। वे वहां से व्यापारी के लिए सामान लाते हैं। हालांकि कभी-कभी सामान लाने के बाद उन्हें कम कीमत पर बेचना पड़ता है, पर इससे व्यापारियों को उनका भुगतान मिल जाता है।

जहां विश्वास नहीं वहां से उठा लेते हैं माल


कपड़ा बाजार में पिछले कुछ समय से अविश्वास का माहौल है। समय पर भुगतान नहीं करने वाले कुछ व्यापारियों से बुनकर सामान वापस ले लेते हैं। भुगतान में देरी से बचने के लिए बुनकर सावधानी बरत रहे हैं।

कपड़ा बाजार में वित्तीय आपातकालीन स्थिति


इस समय कपड़ा बाजार में आर्थिक संकट चल रही है। छह माह पूर्व बेचे गए माल का भुगतान नहीं मिलने से व्यापारी परेशान हैं। छोटे, मझोले और बड़े सभी व्यापारियों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। भुगतान न करने वाले अच्छे व्यापारी भी भुगतान में देरी कर रहे हैं।

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