सूरतः स्वनिर्भर शाला संचालक मंडल ने राज्य सरकार से फीस मुद्दे को स्पष्ट करने वाला सर्कुलर जारी करने की मांग की

सूरतः स्वनिर्भर  शाला संचालक मंडल ने राज्य सरकार से फीस मुद्दे को स्पष्ट करने वाला सर्कुलर जारी करने की मांग की

अभिभावक के पूरा फीस नहीं भरने पर निजी स्कूल के लिए तत्काल राहत पैकेज की मांग की

बोर्ड परीक्षा रद्द करने के राज्य सरकार के फैसले से अभिभावक, छात्र और निजी स्कूल प्रशासक असहज महसूस कर रहे हैं। कुछ अहम मुद्दों को लेकर स्वनिर्भर शाला मंडल ने  मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर पेशकश की है।  शिक्षा विभाग की ओर से 7 जून से स्कूल शुरू करने का आदेश दिया गया है। स्वाभाविक है कि कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए अभी भी  स्कूलों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा दिया जाएगा। फीस और ऑनलाइन शिक्षा के मुद्दे पर अभिभावक और प्रशासकों के बीच लगातार असहमति है। मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को लिखे पत्र में स्पष्टता करने की मांग की गई है। 
 शैक्षणिक वर्ष 2020-21 की फीस का भुगतान अभी तक कुछ अभिभावकों द्वारा नहीं किया गया है, जबकि नये सत्र शुरू होने वाले हैं। अगर अभिभावक ने फीस का भुगतान नहीं किया है तो स्कूल प्रशासक को शिक्षा विभाग को निर्देश देना होगा कि क्या करना है। अभिभावक ऑनलाइन शिक्षा लेना चाहते हैं कि नहीं इस संदर्भ में अभिभावकों को स्कूल प्रशासकों से परामर्श करने की आवश्यकता होगी। यदि माता-पिता खराब वित्तीय स्थिति में हैं और फीस का भुगतान नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें स्कूल प्रशासकों को लिखित रूप में सूचित करना होगा।
शिक्षा विभाग ने कुछ मुद्दों को ठीक से स्पष्ट नहीं किया जिससे कई समस्याएं पैदा हो रही हैं। यदि माता-पिता ऑनलाइन शिक्षा लेने के लिए सहमत नहीं हैं और यदि स्कूल भुगतान नहीं करते है, तो एक बड़ा भ्रम है कि स्कूल के रखरखाव के लिए स्कूल प्रशासक भुगतान कैसे करेंगे। यदि वह स्कूल की फीस नहीं देता और ऑनलाइन शिक्षा नहीं लेता है, तो वह छात्र का स्कूल में नामांकन क्यों करे? इसको लेकर स्कूल संचालकों की परेशानी भी बढ़ गई है। राज्य सरकार ने फीस का भुगतान करने और ऑनलाइन शिक्षा लेने वाले छात्रों के माता-पिता की संख्या और ऑनलाइन शिक्षा नहीं लेने वाले छात्रों के फीस देने के लिए अनिच्छुक होने पर स्कूल प्रशासक किस दिशा में जाएंगे, यह स्पष्ट नहीं किया है।
स्वनिर्भर शाला संचालक मंडल के अध्यक्ष दीपक राज्यगुरु ने कहा कि सामान्य तौर पर अब अभिभावकों की मानसिकता है कि सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर मास प्रमोशन दिया जा रहा है। बड़े पैमाने पर प्रमोशन देना है तो स्कूल फीस क्यों दें इस तरह की मानसिकता स्कूल संचालकों के लिए बहुत हानिकारक साबित हो रही है। दूसरी ओर हमारी मांग है कि यदि अभिभावक पर्याप्त शुल्क नहीं देते हैं तो राज्य सरकार तत्काल प्रभाव से राहत पैकेज की घोषणा करे। हमने तय किया है कि अगर राज्य सरकार राहत पैकेज पर फैसला नहीं करती है तो हम अदालतों के जरिए राहत पैकेज की मांग करेंगे।
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