सूरत : जानें क्यों काम हुआ ग्रे का उत्पादन?

सूरत : जानें क्यों काम हुआ ग्रे का उत्पादन?

मार्च आने के साथ ही लोगों में होली-घुलेटी को लेकर अजब उत्साह देखने को मिलता है। हालांकि ये समय विविग उद्योग के लिए मुश्किल का समय होता है। गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ ही मजदूर और कारीगर अपने गांव जाने लगते है। ऐसे में इस समय वीविंग उद्योग का उत्पादन 50% तक कम हो जाता है।
आपको बता दें कि गर्मी का मौसम शुरू होते ही सूरत में काम करने वाले उत्तर भारत के अधिकांश कारीगर सूरत रुकने का विकल्प नहीं चुनते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में कारीगर अपने गांव की ओर जाने लगते है। इसके कारण, सूरत मार्केट में कारीगरों की कमी हो जाती है, जबकि कुछ कारीगर भी अपने गृहनगर से सूरत आ रहे हैं। वैसे कपड़ा उद्योग में मंदी और तेजी मार्केट का एक हिस्सा रहा है। इस समय अगर कारीगर घर जाते हैं तो बचे हुए कारीगरों को भी अधिक रोजगार और मजदूरी मिलती है।  हालांकि जैसे-जैसे कारीगरों की संख्या कम होती जाती है, तो बचे हुए कारीगरों को कुछ और मशीनों को आवंटित करके उत्पादन शुरू रखना चाहते हैं। लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि निर्माता मार्च के बाद बचे हुए कारीगरों को बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं।
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