गारमेंट उद्योग में अपनी नई पहचान कायम करने की राह पर है सूरत

गारमेंट उद्योग में अपनी नई पहचान कायम करने की राह पर है सूरत

कोरोना महामारी के कारण विश्वस्तर पर चीन की छबि काफी खराब हो गई है। इसके चलते पिछले तीन सालों से इंटरनेशनल स्तर पर व्यापार करने वाली कंपनियों का चीन से मोह भंग होने लगा है। खास तौर पर गारमेंट उत्पादकों ने चीन के स्थान पर सूरत पर अपनी पसंदगी उतारना शुरू कर दिया है। 
अब तक गारमेंट के फेब्रिक्स चीन से इम्पोर्ट करने वाली कंपनियाँ अब सूरत के उद्यमीयों का संपर्क कर रही है। सूरत के उद्यमीयों से पिछले तीन सालों में तकरीबन 10 कंपनियों ने संपर्क किया है। जिसके अंतर्गत सूरत में से 10 लाख मीटर कपड़ा उत्पादित किया जा रहा है। 
सूरत पॉलिएस्टर कपड़ों का हब है और यहाँ बड़े पैमाने पर साड़ी और ड्रेस का उत्पादन होता है। हालांकि अब कई उद्यमियों ने टेक्निकल टेक्सटाइल का भी उत्पादन कर रहा है। जिसकी कीमत 400 रुपये से लेकर 1000 रुपये प्रतिकीलों तक है। इसके अलावा इसके लिए मशीनों को भी अपग्रेड करना पडता है। पिछले तीन दिनों में ही सूरत में तकरीबन 1000 करोड़ का निवेश मात्र टेक्निकल टेक्सटाइल के क्षेत्र में किया गया है। 
विश्वबाजार में गारमेंट का व्यापार करने वाली कंपनियाँ सूरत के उद्यमियों को टेक्निकल सपोर्ट देकर अपनी जरूरत के अनुसार कपड़े के ऑर्डर दे रहे है। ऐसे ही एक निर्यातकर्ता ने बताया कि कोरोना कि पहली लहर के बाद उनका संपर्क विदेश कि एक बड़ी कंपनी के साथ हुआ था। शुरुआत में उन्हें 2000 मीटर कपड़े का ऑर्डर मिला था। हालांकि अब उन्हें हर महीने चार लाख मीटर का ऑर्डर मिल रहा है। 
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