सूरत : सरकारी स्कूल के टीचरों ने घर-जीएचआर जाकर शुरू किया एडमिशन अभियान

सूरत : सरकारी स्कूल के टीचरों ने घर-जीएचआर जाकर शुरू किया एडमिशन अभियान

महामारी के कारण कक्षा 1 में कम हो रहे एडमिशन के चलते शुरू किया डोर-टू-डोर अभियान

राज्य भर में फैली हुई कोरोना महामारी के कारण स्कूलों में एडमिशन की कार्यवाही काफी धीमी हो गई है। निजी स्कूलों के साथ-साथ सरकारी स्कूलों में भी बच्चों का एडमिशन नहीं हो रहा। जिसके चलते सरकारी स्कूल के शिक्षकों द्वारा डोर-टू-डोर एडमिशन अभियान शुरू किया गया है। शिक्षकों द्वारा हाथ में माइक लेकर पांडेसरा इलाके में घूम-घूम कर अभिभावकों से बच्चों को स्कूल में एडमिशन लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। 
सरकारी स्कूल के शिक्षक चंद्रशेखर निकम और उनके साथी चंद्र्कांत जाधव और संजय सावंत सुबह 8 बजे से ही हर सोसाइटी में अपना माइक लेकर पहुंच जाते है। निकम और उनके साथी सोसाइटी में घूमते हुये मराठी भाषा में बोलते हुये सभी को सरकारी स्कूल में पढ़ने के फायदे बताए है। बता दे की निकम और उनके साथ सूरत महानगर पालिका द्वारा संचालित मराठी मीडियम की स्कूल नंबर 222 और 255 में पढ़ाते है। जो की पांडेसरा के नागसेन नगर में स्थिति है। इस इलाके में अधिकतर परिवार मराठीभाषी है। 
निकम ने कहा की पिछले साल उन्हें पूरे साल में पहली कक्षा के मात्र 20 छात्रों का एडमिशन मिला था। पर पिछले साल कई तरह की पाबंदियाँ थी। जिसके चलते वह किसी भी तरह का कोई भी अभियान नहीं चला पाये। हालांकि इस साल उन्होंने यह अभियान शुरू किया था। निकम ने कहा की हर साल उन्हें 40 से 50 एडमिशन आसानी से मिलते थे और उन्हें हर साल क्लास की संख्या बढ़ानी पड़ती थी। पर दो सालों से उनके पास अधिक एडमिशन नहीं आ रहे थे। निकम ने कहा की कई लोग निजी स्कूलों की फीस नहीं भर पाते थे, जिन्हें उन्होंने निगम की स्कूलों में पढ़ने के फायदे समजाए। इसके अलावा जिन बालकों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाने की अभिभावकों की इच्छा थी, उनके लिए उन्होंने सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल का एड्रेस भी बताया। 
इस अभियान के बारे में बताते हुये सावंत कहते है कि यह अभियान उनका खुद का विचार है। ऐसा करने के लिए उन्हें ऊपर से कोई आदेश नहीं मिले है। उनका उद्देश्य है कि कोई भी शिक्षा से वंचित ना रह जाये। उन्होंने कहा कि उनके अभियान का फल भी उन्हें कुछ कुछ दिखाई दे रहा है। पिछले कुछ दिनों में ही दोनों स्कूलों में उन्हें 10-10 नए एडमिशन मिले है और वह आगे भी इसी तरह के परिणाम की आशा रखते है। 
Tags: