सूरत : सिविल अस्पताल के अभ्यास का अनुमान, तीसरी लहर में इतने बच्चे हो सकते हैं कोरोना प्रभावित

सूरत : सिविल अस्पताल के अभ्यास का अनुमान, तीसरी लहर में इतने बच्चे हो सकते हैं कोरोना प्रभावित

कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान किए गए आरटी-पीसीआर, एचआरसीटी और रैपिड एंटीजन परीक्षणों के परिणामों के आधार पर तैयार हुई ये रिपोर्ट

राज्य में धीरे-धीरे कम हो रहे कोरोना संक्रमण के बीच सूरत शहर में राज्य द्वारा संचालित न्यू सिविल अस्पताल ने एक चौकाने वाले अध्ययन के बारे में बताया हैं इस अध्ययन के अनुसार अगर देश में कोरोना की तीसरी लहर आती है तो सूरत में 15 वर्ष से कम उम्र के लगभग 20 हजार बच्चे  कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं। 
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड -19 की पहली और दूसरी लहर में सरकारी अस्पतालों और निजी प्रयोगशालाओं में किए गए आरटी-पीसीआर, एचआरसीटी और रैपिड एंटीजन परीक्षणों के परिणामों को शामिल करते हुए विस्तृत गणना के आधार पर ये अनुमान लगाया जा रहा हैं। इस अध्ययन के दौरान ये पाया गया कि कोरोना की दूसरी लहर के चरम पर पहुंचने केवल स्कूल जाने वाले बच्चों के परिवारों में अधिकांश महिलाएं कोरोना से संक्रमित हुई।
एनसीएच के प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन विभाग द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, कोरोना की तीसरी लहर में अनुमानित 88,000 से एक लाख मामलें सामने आ सकते हैं जिनमे से लगभग 17,600 से 20,000 बच्चे इससे संक्रमित हो सकते हैं। इन संक्रमित बच्चों में से लगभग 2,000 को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होगी और इनमें से 200 को आईसीयू की आवश्यकता होगी। 
इस बारे में बात करते हुए पीएसएम के विभाग प्रमुख (हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट) और प्रोफेसर जेके कोसंबिया ने बताया “ये अध्ययन केवल भविष्य की तैयारियों के लिए हैं। ये मात्र एक अनुमान है और कोई भी ठीक से नहीं बता सकता कि तीसरी लहर आने पर असल में क्या होगा! हालांकि इस लहर से युवा आबादी में अधिक संक्रमित होने की आशंका है क्योंकि फिलहाल वहीं वर्ग हैं जिन्हें टीका नहीं लगा है।” उन्होंने बताया कि इस विभाग ने दोनों लहरों की बारीकी से निगरानी की और अपने दैनिक निष्कर्षों के आधार पर उन्होंने अगले कुछ दिनों के लिए भविष्यवाणियां और अनुमान लगाए। 
उन्होंने बताया “दूसरी लहर के दौरान सरकारी अस्पतालों में किए गए आरटी-पीसीआर परीक्षण में कुल मामलों में से 5.4% बच्चे सकारात्मक पाए गये, जो पहली लहर की तुलना में काफी अधिक है और अगर यह सिलसिला जारी रहा तो और अगली लहर में और अधिक बच्चे संक्रमित होंगे।”