सूरत : डाइंग-प्रिंटिंग मिलों ने एक बार फिर जॉब चार्ज बढ़ाने का निर्णय लिया

सूरत : डाइंग-प्रिंटिंग मिलों ने एक बार फिर जॉब चार्ज बढ़ाने का निर्णय लिया

साउथ गुजरात टैक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन की बैठक में जॉब चार्ज में 10% बढ़ोतरी का निर्णय, रो मटीरियल और कोयले के दाम में वृद्धि कारणभूत

सूरत के कपड़ा उद्योग पर संकट कोरोना का से लगातार मंडरा रहा है। एक मुश्किल हटती नहीं कि नई कठिनाई सामने आ जाती है। अब समाचार यह है कि सूरत के डाईंग और प्रिंटिंग मिलों ने जॉब चार्ज को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
साउथ गुजरात टैक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन जो कि स्थानीय प्रोसेसिंग इकाइयों की प्रतिनिधि संस्था है, के तत्वावधान में जॉब चार्ज में बढ़ोतरी का यह निर्णय लिया गया है। 3 फरवरी 2022 को एसोसिएशन की प्रबंध समिति की बैठक हुई थी जिसमें पांडेसरा, सचिन, कडोदरा, पलसाना, न्यू पलसाना, गुजरात इको टैक्सटाइल पार्क आदि जगहों के प्रतिनिधियों व कमेटी मेंबरों ने हिस्सा लिया था। इस बैठक में टेक्सटाइल उद्योग को टिकाए रखने के लिए चर्चा विचारणा की गई। बैठक में इस बात का खुलासा किया गया कि पिछले दिनों कोयले के दाम 40%, हाइड्रो के दाम 45%, पॉलीसोल के दाम 50%, एसिडिक एसिड, नाइट्रिक एसिड, कास्टिक सोडा में 30 से 50% की वृद्धि हुई है। मटीरियल के भावों में इस बेहद बेतहाशा वृद्धि के कारण प्रोसेसिंग इकाइयों के पास अब जॉब चार्ज बढ़ाने के अलावा और कोई चारा नजर नहीं आ रहा है। इसीलिए एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से भाव वृद्धि का निर्णय किया है।
बता दें कि वर्तमान महंगाई के दौर में सूरत जिले में स्थित अधिकांश जिलों में सप्ताह के अंदर 2 दिन की छुट्टी रखी जा रही है जिससे प्रोडक्शन पर कटौती लागू की जा सके। इसके पीछे का मूल कारण रॉ मैटेरियल के भाव में वृद्धि और बाजार की परिस्थिति है। उद्यमियों का मानना है कि यदि कपड़ा उद्योग को बाजार में टिके रहना है तो भाव वृद्धि अनिवार्य हो गई है और ऐसा करने पर ही बड़ी मुश्किल से इकाइयां मरणासन्न स्थिति में जाने से बच पाएंगी।
स्मरण रहे कि दीपावली के आसपास भी प्रोसेसिंग इकाइयों ने जॉब चार्ज में वृद्धि की थी। लेकिन उस समय ऐसा देखा गया था कि कुछ इकाइयों ने प्रतिस्पर्धा के दौर में टिके रहने के लिए अंदर खाने भावों में वृद्धि नहीं की थी या कम की थी। एसोसिएशन की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि ऐसा करने वाली इकाइयों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की जाएगी और उन्हें समझाया जाएगा। उन्हें इस बात की भी सीख दी जाएगी कि सप्ताह में दो या तीन दिन बंद रखकर प्रोडक्शन कंट्रोल करने की भी गहन आवश्यकता महसूस की जा रही है। कोरोना के तीसरे चरण में हालात धीमे-धीमे सामान्य हो रहे हैं लेकिन आर्थिक पक्ष अभी भी कमजोर नजर आ रहा है। लेकिन इससे हताश होने की जरूरत नहीं है बल्कि सभी को साथ मिलकर वर्तमान संकट का सामना करना है।