सूरत : कोरोना के कारण उत्तरायण पर मंदिरों में 65 प्रतिशत कम हुए दान

सूरत : कोरोना के कारण उत्तरायण पर मंदिरों में 65 प्रतिशत कम हुए दान

इस्कॉन मंदिरों में भक्तों ने केवल 3 लाख रुपये का दान दिया

अंबिका निकेतन बंद होने से चंदा नहीं आया, पहले रु. 2 लाख रुपये तक का दान आता था
कोरोना के चलते इस साल भी उत्तरायण में शहर के प्रमुख मंदिरों में दान में कमी आई है। हालांकि, इस साल 2021 के मुकाबले ज्यादा डोनेशन हुआ। शहर के प्रमुख मंदिरों को दिए जाने वाले दान में 60 से 75 फीसदी की गिरावट आई है। इस्कॉन मंदिर वराछा के दिलीपभाई के अनुसार, हमें गौशाला एवं मंदिर दोनों को मिलाकर कुल 12 लाख रुपये तक का दान मिलता था। 2021 में यह 5 प्रतिशत से भी कम था।
हालांकि इस साल उत्तरायण दिवस पर 3 लाख रुपये का दान मिला है। मंदिर में आने वाले भक्तों की संख्या भी काफी कम हो गई। पहले उत्तरायण के लिए 5,000 लोग आते थे, लेकिन दिन में केवल 1,000 लोग ही आते थे। अंबिका निकेतन मंदिर बंद होने के कारण चंदा नहीं मिला। पिछले वर्षों में उत्तरायण के दिन 2 लाख तक का दान प्राप्त होता था। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की बात करें तो हर मंदिर में 35 से 50 प्रतिशत श्रद्धालु ही मंदिर पहुंचे।
सरथाना जकातनाका स्थित स्वामीनारायण मंदिर के वेलजीभाई ने कहा कि इस साल 50 हजार रुपये का दान मिला है, जो कोविड से पहले 1.50 लाख रुपये मिलता था। भक्तों में भी 65 फीसदी तक की गिरावट देखी गई। मंदिर में 2 हजार की जगह 600 हरिभक्त ही आए। हालांकि, 2021 के मुकाबले काफी ज्यादा डोनेशन मिला है। इसी तरह, इस्कॉन मंदिर जहांगीरपुरा में भी दान में 65 फीसदी की गिरावट देखी गई। इससे पहले 1.50 लाख रुपये का चंदा मिला था, जो इस साल 50 हजार रुपये था। श्रद्धालु भक्त भी 2,000  की जगह  800 ही मंदिर पहुंचे। 
पुराने अंबाजी मंदिर में 12 हजार की जगह 5 हजार ही चंदा आया था। भीड़भंजन मंदिर में दान में भी 65 फीसदी की कटौती पाई गई। कांतारेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन के लिए 1200 की जगह करीब 500 श्रद्धालु पहुंचे। जबकि दान में भी 40 फीसदी की कमी पाई गई और 20 हजार की जगह 8 हजार रुपये ही दान मिले। 
पाल के अटल आश्रम में करीब 500 श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे। जो 1 हजार से ज्यादा हुआ करती थी। दर्शन में भी श्रद्धालुओं में 65 फीसदी की गिरावट देखी गई है। पहले 10 हजार डोनेशन आता था। जिसके मुकाबले इस साल सिर्फ 3500 ही आए हैं। हालांकि सभी मंदिरों का कहना है कि साल 2020 में कोरोना चालू होने के बाद 2021 में 5 फीसदी दान भी नहीं आया। हालांकि इसकी तुलना में यह साल काफी अच्छा रहा है।
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