सूरत : 30 दिसंबर के कपड़ा मार्केट बंद के औचित्य को लेकर कुछ हलकों में सुगबुगाहट

सूरत : 30 दिसंबर के कपड़ा मार्केट बंद के औचित्य को लेकर कुछ हलकों में सुगबुगाहट

कपड़े पर जीएसटी वृद्धि के सरकारी एलान के बाद कपड़ा व्यापारियों में एक ओर रोष है। सूरत के कपड़ा अग्रणियों ने स्थानीय सांसदों से लेकर केंद्रीय वित्तमंत्री तक इस कर वृद्धि के विरोध में अपना पक्ष रखा है। लेकिन एक जनवरी से जीएसटी में वृद्धि लागू होने से पहले आखिरी कुछ दिनों तक सरकार की ओर से कोई सकारात्मक संकेत न मिलने पर कपड़ा व्यापारियों के संगठन फोस्टा ने गुरुवार  30 दिसंबर को एक दिन कपडा मार्केट बंद का एलान किया है। इस एलान के बाद कन्फ्रेडेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने भी देश की कपड़ा मंडियों को बंद में शामिल होने का आह्वान किया है। 
लेकिन इस एलान के बाद से ही सूरत शहर के ही कुछ कपड़ा कारोबारियों के हलकों में बंद को लेकर सवाल खड़े किये जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर बंद को लेकर जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं। ज्ञातव्य है कि सूरत में फोस्टा के अलावा कपड़ा कारोबारियों के दूसरे भी संगठन हैं और हरेक के अपने-अपने वॉट्सएस ग्रुप और टेलीग्राम ग्रुप बने हुए हैं। इन प्लैटफोर्म्स पर कारोबारी बंद को लेकर अपनी-अपनी राय रख रहे हैं। 
जहां अधिकांश कारोबारी बंद के समर्थन में नजर आ रहे हैं। वहीं कुछ ग्रुपों में बंद पर सवाल करते हुए कहा जा रहा है कि केवल एक दिन का बंद करके व्यवसाय में नुकसान करने का कोई औचित्य नहीं है। एक दिन के बंद से सरकार के कानों में जूं तक नहीं रैंगने वाली। वहीं कुछेक कह रहे थे कि 30 दिसंबर बंद रखने का सही दिन नहीं है। यदि सही मायनो में सरकार पर दबाव बनाना है कि तो एक जनवरी से अनिश्चितकालीन बंद किया जाना चाहिये। कुछ व्यापारी इस मत के थे कि गुरुवार को बंद रखने की बजाय शुक्रवार से रविवार तक तीन दिनों का बंद किया जाना चाहिये था। वहीं एक कारोबारी ने कहा कि जब एक जनवरी से टैक्स वृद्धि लागू हो रही है तो तभी से मार्केट बंद करके उससे पूर्व 31 दिसंबर तक कारोबारियों अपना-अपना माल बेचने का अवसर दिया जाना चाहिये।
कपड़ा व्यापारियों के एक संगठन के अगुवा ने तो फोस़्टा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि क्यों वह शहर के अन्य संगठनों को विश्वास में लेने बजाय सीधे फरमान जारी करने का काम करती है? खैर, बंद को लेकर जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं। देखना होगा कि जीएसटी वृद्धि के खिलाफ कारोबारियों का यह विरोध प्रदर्शन सरकार पर कितना दबाव बनाता है?
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