सूरत : पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं देने पर पति को कोर्ट ने 390 दिनों की सजा सुनाई

सूरत :  पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं देने पर पति को कोर्ट ने 390 दिनों की सजा सुनाई

अदालत ने बच्चे को रु. 2000 और पत्नी के रु. 3500 सहित कुल 5500 रुपये प्रतिमाह देने का आदेश दिया था

सूरत की एक पारिवारिक अदालत ने पत्नी को भरण-पोषण न देने पर पति को 390 दिन की सजा सुनाई है। पति को जेल जाने के बाद पत्नी को बाकी रिकवरी वसूलने के लिए कार्यवाही कर आगे बढ़ना होगा। इस मामले की जानकारी यह है कि कतारगाम रेल रिलीफ कॉलोनी में रहने वाली मीनाबेन की शादी 05/12/2008 को विजय नगर सोसाइटी, वेडरोड में रहने वाले प्रवीणभाई (दोनों पक्षों के नाम बदले गए) के साथ हुई थी। जिसमें उनका वर्तमान में एक बेटा (उम्र 8) है। जब पता चला कि बेटा मानसिक रूप से विक्षिप्त है तो पति-पत्नी और सास-ससुर के बीच झगड़े होने लगे और ननद का भी मीनाबेन से छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा होने लगा। 
इससे तंग आकर उन्होंने मायके की शरण ली और अपने बेटे और खुद के भरण पोषण पाने के लिए अश्विन जे जोगड़िया के जरिए सूरत फैमिली कोर्ट में भरण-पोषण के लिए आवेदन किया था। जिसके आधार पर अदालत ने बच्चे को रु. 2000 और पत्नी के रु. 3500 सहित कुल 5500 रुपये  प्रतिमाह देने का आदेश दिया था।

अगर पति वसूली राशि का भुगतान करता है तो  उसे जेल से रिहा कर दिया जाएगा


इस बीच पति द्वारा समय पर भरण-पोषण नहीं देने पर 39 माह के भरण-पोषण की राशि रु. 2,17,000 (रुपये दो लाख सत्रह हजार) बाकी गया था। जिसमें दोनों पक्षों को सुनने के बाद यहां की पारिवारिक अदालत ने पति को एक माह के दस दिन के हिसाब से 390 दिन के साधारण कारावास की सजा सुनाई। आदेश में कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर पति वसूली राशि का भुगतान करता है तो  उसे जेल से रिहा कर दिया जाएगा। अगर वह भुगतान नहीं करता है तो पत्नी राजस्व के माध्यम से रिकवरी  राशि की वसूली कर सकती है।
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