सूरत : चैंबर द्वारा 'एथिकल हैकिंग' पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, साइबर सुधार के विभिन्न तरीकों पर मार्गदर्शन दिया

सूरत :  चैंबर द्वारा 'एथिकल हैकिंग' पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, साइबर सुधार के विभिन्न तरीकों पर मार्गदर्शन दिया

दो दिवसीय कार्यशाला में प्रतिभागियों को एथिकल हैकिंग के चयनित तरीकों के साथ-साथ साइबर अपराध, साइबर सुरक्षा, औद्योगिक मानकों, शासन और साइबर कानून जानकारी दी गयी

अनधिकृत हैकिंग को रोकने के प्रयास में जो हैकिंग होती है और जिसके द्वारा सिस्टम में दोषों को दूर करके सिस्टम की रक्षा की जाती है, उसे एथिकल हैकिंग कहा जाता है। 
दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा 21 और 2 जनवरी को सुबह 11:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक समृद्धि, नानपुरा, सूरत में 'एथिकल हैकिंग' पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें विशेषज्ञ वक्ता के तौर पर  निशांत वसावा, प्रोजेक्ट मैनेजर, सर्टबार सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड  तथा पेन्टेस्टर सुकेश गौड और ग्राहम गोहिल तथा एडवोकेट स्नेहल वकीलना, धवल सोनी और निरव गोटी द्वारा सायबर क्राईम, सायबर सिक्युरीटी, इंडस्ट्रीयल स्टान्डर्ड, गवर्नन्स , सायबर लो के बारे में , सायबर सुधार के बारे में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया गया।
चैंबर के अध्यक्ष आशीष गुजराती ने कहा कि अनधिकृत हैकिंग को रोकने के प्रयास में जो हैकिंग होती है और जिसके द्वारा सिस्टम में दोषों को दूर करके सिस्टम की रक्षा की जाती है, उसे एथिकल हैकिंग कहा जाता है। भारतीय संसद में हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 में साइबर हमलों के लगभग 1.16  मिलियन मामले दर्ज हुए थे। जो साल 2019 से करीब तीन गुना और साल 2016 से 20 गुना ज्यादा है। वर्ष के दौरान हररोज औसतन 3137 साइबर सुरक्षा मुद्दे पर प्रति दिन रिपोर्ट किए गए। 
इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2019 और 2020  के दौरान  क्रमशः 3,6,83,94,499 और 11,58,208 साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दे थे।  हैकर्स के विनाशकारी प्रभावों का मुकाबला करने के लिए हमें डिजिटल सुरक्षा की आवश्यकता है। एथिकल हैकर्स किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म में कमजोरियों को निष्क्रिय करने के लिए सिस्टम का उपयोग करते हैं। 
 निशांत वसावा और उनके साथी सुकेश गौड़ा और ग्राहम गोहिल ने कहा हैक करने के कई तरीके है । इसलिए उन्होंने ब्रोकन ऑथेंटिकेशन, सेशन मैनेजमेंट, क्रॉस साइट रिक्वेस्ट फ्रोजरी,  क्रॉस साइट स्क्रिप्टिंग, स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लैंग्वेज, इनसिक्योर डायरेक्ट ऑब्जेक्ट रेफरेंस, ऑपरेटिंग सिस्टम कमांड इंजेक्शन (इंजेक्टेबल) और फाइल इंक्लुजन जैसी आठ विधियों की डेमोन्ट्रेशन के जरीए जानकारी दी। 
अधिवक्ता स्नेहल वकीलना ने कहा कि व्यवस्था में रहकर एथिकल हैकिंग की जाती है, जो नेक इरादे से की जाती है। उन्होंने साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन और साइबर लॉ के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के बारे में भी जानकारी दी और केस स्टडी के बारे में विस्तार से चर्चा की।
धवल सोनी ने साइबर सुरक्षा औद्योगिक मानक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बिना काम के एप को डाउन नहीं किया जाना चाहिए और बिना काम के ई-मेल खोलने पर भी सावधानी बरतनी चाहिए। अनअधिकृत रुप से हैकर्स ऐप की मदद से कोई अपने कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल से किसी व्यक्ति की फोटो कैसे ले सकता है? जिसका उन्होने डेमोन्सट्रेशन कार्यशाला में कर दिखाया। 
चैंबर की साइबर सुरक्षा समिति के अध्यक्ष नीरव गोटी ने शासन नीति और प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों द्वारा वेब एप्लिकेशन के नए दृष्टिकोण की सराहना की गई।
चैंबर के ग्रुप चेयरमैन बशीर मंसूरी ने कार्यशाला के दौरान मुख्य भाषण दिया। दो दिवसीय कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। अंत में चैंबर के उपाध्यक्ष हिमांशु बोडावाला ने सर्वेक्षण का धन्यवाद किया और कार्यशाला का समापन किया।

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