सूरत : सुप्रीम कोर्ट में सहकारी अधिनियम की धारा 74 के मुद्दे पर कैवियट दायर

सूरत : सुप्रीम कोर्ट में सहकारी अधिनियम की धारा 74 के मुद्दे पर  कैवियट दायर

राज्य सरकार के सहकारिता विभाग संशोधन अधिनियम की धारा 74-सी 26 में संशोधन को गुजरात उच्च न्यायालय ने अवैध और असंवैधानिक घोषित किया।

दक्षिण गुजरात के किसान नेता विक्रमसिंह कनकसिंह मंगरोला और अतुल पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में एक प्रोविझनल एप्लीकेशन केवियट दायर की 
निर्दिष्ट सहकारी चीनी समितियों को प्राथमिक सहकारी समितियों में परिवर्तित करने के लिए राज्य सरकार के सहकारिता विभाग संशोधन अधिनियम की धारा 74-सी से 26 में संशोधन को गुजरात उच्च न्यायालय ने अवैध और असंवैधानिक घोषित किया। चीनी समितियों और किसानों के पक्ष में निर्णय आने पर राज्य सरकार दुविधा में है।  गुजरात सरकार उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे इससे पहले दक्षिण गुजरात के किसान नेता विक्रमसिंह कनकसिंह मंगरोला और अतुल पटेल ने सर्वोच्च न्यायालय में एक अनंतिम आवेदन-कैविएट (नंबर 14499-2021) दायर किया जिसका सुप्रिम कोर्ट ने स्वीकार किया है। याचिकाकर्ताओं की मांग है कि अगर गुजरात सरकार गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देती है तो सुप्रीम कोर्ट को एकतरफा सुनवाई करने के बजाय चीनी सोसायटियों और किसानों के मामले की सुनवाई भी सुप्रिम कोर्ट सूने। इस कैविएट को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। 
दक्षिण गुजरात में सहकारी चीनी मिलों की पीलाई क्षमता 57000 टन प्रतिदिन है और वार्षिक कारोबार लगभग 4000 करोड़ रुपये है। 5 लाख किसान 1.25 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती करते हैं और सहकारी चीनी मिलें 90 लाख क्विंटल सालाना चीनी का उत्पादन करती हैं। ये सभी गन्ना उत्पादक और नामित सहकारी समितियां चीनी बनाने और बेचने के लिए वर्षों से अस्तित्व में हैं, जिसके विकास में सरकार ने भी बड़ा योगदान दिया है। 
किसान अग्रणी एम.एस.एच. शेख ने सहकारिता राज्य मंत्री, सहकारिता विभाग और चीनी संघ के सचिव को लिखित शिकायत भेजकर सहकारिता अधिनियम की धारा 74-सी के संशोधन को हाईकोर्ट ने नकार देने से उस धारा के तहत हुए चुनाव रद्द करने और प्रशासक की निुयक्ती कर दोबारा चुनाव कराने की मांग की है। जब मामला उच्च न्यायालय में गया तो चीनी समितियों के अधिकारियों ने उन्हें उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखने के लिए कहा। उस गारंटी को देखते हुए पूरी प्रबंधन समिति को भंग कर नए सिरे से चुनाव कराना चाहिए।
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