सूरत : महंगे कोयले की बलिहारी, क्या अब सौर ऊर्जा से चलेंगी डाईंग मिलें?

सूरत : महंगे कोयले की बलिहारी, क्या अब सौर ऊर्जा से चलेंगी डाईंग मिलें?

पांडेसरा के आठ इकाईयों में लगाया जा रहा सोलर पैनेल

दिवाली के पहले से ही कोयले के भाव लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में कोयले पर आधारित कपड़ा मीलों की चिंता बढ़ती जा रही है। ऐसे में कोयले की सरदर्दी को दूर करने के लिए पांडेसरा की आठ इकाइयों ने कोयले का उचित विकल्प चुनने का विकल्प चुना है। दरअसल इन इकाइयों ने पुनःप्राप्त ऊर्जा स्त्रोत की तरफ रुख करते हुए अपने क्षेत्र में सोलर पैनल स्थापित कराया।
जानकरी के अनुसार,  उनिड़ो,इइएसएल और डीइएसएल के अधिकारीयों की पांडेसरा में दक्षिण गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसिंग एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ सोमवार को बैठक हुई। इस बैठक में एमएसएमई उद्योगों में सौर्य ऊर्जा के उपयोग पर चर्चा हुई।
आपको बता दें कि कंसन्ट्रेटिंग सोलर थर्मल टेक्नोलॉजी के उपयोग के लिए सूरत के का चयन किया गया जिसमें 2 वर्ष तक लगभग 8 जितने इकाइयों में सोलर टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा, जहां पहले कोयले का उपयोग किया जाता था।
इस बैठक में हाजिर रहे यूनिडोक ऑफ के नेशनल प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर देबाजीत दास ने बताया कि प्रोसेसिंग सेक्टर में डाइंग प्रोसेस प्रक्रिया के लिए गर्मी पैदा करने के लिए कोयले का ही उपयोग किया जाता है। अब इसकी जगह सोलर टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा। इसके दो फायदे होंगे पहला तो प्रदूषण कम होगा और दूसरा इससे कोयले की लागत से मुक्ति मिलेगी। यूनिडॉक के नेशनल टेक्निकल एक्सपर्ट पंकज कुमार ने बताया कि जिन इकाइयों में सोलर प्लांट लगाया जा रहा है उसमें इसके द्वारा 15 से 30% जितनी विभागीय सहायता दी जाएगी
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