सूरत : माधवी और स्मित के लिए आशा की नई किरण लेकर आई 'बाल सेवा योजना'

सूरत :  माधवी और स्मित के लिए आशा की नई किरण लेकर आई 'बाल सेवा योजना'

बेसहारा हो गए निराश भाई-बहनों की मदद के लिए आई राज्य सरकार, अप्रैल 2021 में मात्र 15 दिनों में कोरोना ने माता-पिता को भोग ले लिया

18 के बजाय 21 वर्ष की आयु पूरी करने वाले भाई-बहन को  हर महीने मिलेगा 4 हजार रुपये की सहायता
कोरोना महामारी में अनाथ बच्चों को पढ़ाई और भविष्य के करियर के लिए मदद रुप होने  राज्य सरकार ने हाल ही में 'मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना' लागू की है। उन्होंने निराश्रित बच्चों की वेदना के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए 21 वर्ष तक के युवकों-किशोरों  चार हजार रुपये प्रति महीने  की आर्थिक सहायता प्रदान करने का सराहनीय कदम उठाया है।
भावनगर जिले के पलिताना तालुका के खखरिया गांव के मूल निवासी और सूरत में योगीचोक के पास विजयनगर सोसाइटी के निवासी नरोला दंपति दूसरी लहर के दौरान  कोरोना की चपेट में आ गए और उपचार के दौरान दोनों की मौत हो गई। नरोला परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा। क्योंकि मात्र 15 दिनों के अंदर हरेशभाई भाई तुलसीभाई नरोला और रेखाबेन हरेशभाई नरोला  की कोरोना से दुःखद निधन हो गया।  कोरोना नामक दैत्य ने 19 वर्षीय पुत्री माधवी और 17 साल के बेटे स्मित से मां-बाप का छाया छीन लियाय।  दोनों भाई-बहन अनाथ समान हो गये।  इस परिवार की बेटी माधवी बीकॉम सेकेंड ईयर में पढ़ रही है और बेटा स्मित 11वीं कॉमर्स में पढ़ रहा है। माता-पिता दोनों की मृत्यु उनके लिए एक दर्दनाक घटना थी। रिश्तेदारों और परिवार की संवेदशीलता से लंबे समय के बाद इस आघात से बाहर निकल सके। ऐसे दुःखद समय में राज्य सरकार निराश भाई- बहन की मदद के लिए आगे आई है। संवेदनशील मुख्यमंत्री  विजयभाई रूपाणी द्वारा शुरू की गई 'बाल सेवा योजना' माधवी और स्मित के लिए आशा की एक नई किरण लेकर आई है।
   राज्य सरकार ने कुछ दिन पहले 'मोकला मने' (भेजो मुझे) कार्यक्रम में एक संवेदनशील फैसला लेते हुए इस योजना में उम्र सीमा 18 साल से बढ़ाकर 21 साल कर दी थी, ताकि 19 साल की माधवी को भी इस योजना का लाभ मिल सके और 4000 रुपये की मासिक सहायता मिल सके। 
स्मिता नरोला अपनी आँखों में आँसू के साथ कहते हैं  कि  "मेरी माँ की मृत्यु 14 अप्रैल को हुई और मेरे पिता की मृत्यु 29 अप्रैल 2021 को कोरोना से हुई। मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था कि अब हम माता-पिता के बिना कैसे  रहेंगे। हमारे माता-पिता की मृत्यु के कारण जीवन हमें अंधकारमय लग रहा था। माता-पिता के बिना जिंदग किस तरह गुजारेंगे इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।  इतनी कम उम्र में हमारे लिए अनाथ होना बहुत मुश्किल है, लेकिन राज्य सरकार मेरे जैसे सैकड़ों बेसहारा बच्चों को 4,000 रुपये मासिक सहायता प्रदान कर रही है, जिससे मुझे और मेरी बड़ी बहन को बहुत प्रोत्साहन मिला है। जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा हमें आवश्यक मार्गदर्शन एवं योजना प्रपत्र भरने का निर्देश दिया गया है। अब सहायता की राशि नियमित रूप से सीधे बैंक खाते में जमा की जाती है।
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