सूरत : कोरोना के दुष्प्रभाव स्वरुप मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं बड़ी संख्या में लोग

बीते दो महीनों में हालत बिगड़े, मानसिक रोग की तीन लाख से अधिक दवाइयां बिकी

कोरोना के संक्रमण के साथ साथ सूरत के लोग इस समय मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। सामने आ रहे आंकड़ो के अनुसार पिछले दो महीनों में मात्र सूरत में लोगों ने मानसिक बीमारी के लिए 3 लाख से अधिक गोलियां ली हैं। शहर के 70 मनोचिकित्सकों का कहना है कि उन्हें एक दिन में लगभग 500 मरीज मिलते हैं। हालांकि बीते कुछ समय पहले सूरत में स्थिति इतनी चिंताजनक नहीं थी, लेकिन पिछले दो महीनों में मानसिक तनाव का स्तर काफी बढ़ गया है।
आपको बता दें कि ऐसे रोगियों को घबराहट, बेचैनी, धड़कन, पसीना, ठंड लगना, मृत्यु का भय, आत्महत्या के विचार जैसी शिकायतों का अनुभव होता है। डॉक्टरों का कहना है कि इस समय मरीज चिंता, कोरोना फोबिया, डिप्रेशन, पैनिक डिसऑर्डर आदि से जूझ रहे हैं। कोरोना काल में ऐसे मरीजों की संख्या में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। मार्च-अप्रैल माह में करीब 250 मरीज आ रहे थे।
डॉक्टरों से मिली जानकारी के मुताबिक मरीजों को एल्प्रेक्स, डक्सेल, नेक्सिटो, लोनोजॉप जैसी दवाएं दी जाती हैं। ऐसे मरीजों ने अकेले मई और जून के महीने में ही 3 लाख दवाएं ली हैं। जाने-माने डॉक्टरों के अनुसार सूरत में मानसिक तनाव बढ़ने के पीछे काम का बंद होना, नौकरी छूटने से आर्थिक दिक्कतें, पारिवारिक विवाद, बच्चों के भविष्य की चिंता, पाबंदियों के कारण बाहर ना जाने मिलना, निजी रिश्तेदारों को खोना, स्कूल बंद होने और ऑनलाइन कक्षाएं फिर से शुरू होने के कारण, चिड़चिड़ापन, शादी करने में कठिनाई, जैसे कारणों से माता-पिता में तनाव का स्तर बढ़ रहा है।
शहर के जाने माने मनोचिकित्सक डॉ. मुकुल चोकसी का कहना है कि मानसिक बीमारी के और भी कारण हैं जैसे कि हर तरफ से कोरोना की समस्या की खबर पढ़-सुनकर लोग परेशान हो रहे हैं। रिपोर्ट सामान्य होने के बाद भी कई मरीज अपनी चिंता कम नहीं करते हैं। ऐसे लोग मानसिक रूप से बीमार होते हैं और उन्हें इलाज की जरूरत होती है। मनोचिकित्सक डॉ. प्रणब पच्चीगर का कहना है कि एंग्जाइटी, डिप्रेशन, पैनिक डिसऑर्डर और कोरोनरी फोबिया जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में प्रतिदिन 10 मरीज ऐसी बीमारी के साथ आते हैं।