सूरत : कोरोना मरीज़ के घर वालों को 14 दिन कोरंटीन अनिवार्य, पालिका कर्मचारियों के लिए केवल 3 दिन!

निगम की दोहरी नीति के सामने लोगों ने उठाए सवाल, क्या मात्र आम प्रजा के लिए ही है 14 दिन के क्वारंटाइन का नियम

शहर में पिछले कई दिनों से कोरोना के केसों में काफी इजाफा देखने मिल रहा है। हालांकि सरकार द्वारा भी सभी के सभी कदम उठाए जा रहे है, जिससे की कोरोना को बढ्ने से रोका जा सके। किसी के भी पॉज़िटिव आने पर उसे 14 दिनों तक क्वारंटाइन कर दिया जा रहा है। हालांकि इस बीच क्वारंटाइन की समय अवधि को लेकर एक विवाद सामने आया है। दरअसल तंत्र द्वारा जहां आम लोगों को पॉज़िटिव रिपोर्ट आने पर 14 दिनों तक क्वारंटाइन कर दिया जा रहा है। वहीं यदि नगर निगम के किसी भी कर्मचारी के घर में यदि कोई पॉज़िटिव पाया जाता है तो उसे मात्र तीन दिनों के बाद RT-PCR रिपोर्ट करवाने के बाद ड्यूटी जॉइन करने का हुक्म मिला है। 
इस तरह इस दोहरी नीति के कारण लोगों में काफी नाराजगी दिखाई दे रही है। इसके पहले भी निगम द्वारा नेताओं से किसी भी प्रकार के नियमों का पालन नहीं करवाने के कारण भी निगम पर कई लोगों ने नाराजगी जताई थी। नगर निगम द्वारा यदि किसी के भी घर में यदि कोई एक व्यक्ति भी कोरोना पॉज़िटिव आते है तो उस घर के सभी लोगों को 14 दिनों तक क्वारंटाइन कर दिया जाता है। यदि कोई इस क्वारंटाइन के नियमों का पालन न करे तो उस पर केस और दंड भी करवाया जाता है। हालांकि लोगों को इस नियम से कोई परेशानी नहीं है, पर यही बात अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए क्यों नहीं लागू होती यह प्रश्न है। 
जहां आम लोगों के घर पर किसी के भी पॉज़िटिव आने पर क्वारंटाइन का बोर्ड लगा दिया जाता था, वहीं मेयर सहित अन्य कई नेताओं के घर इस तरह का कोई बोर्ड नही लगवाया गया। इसके अलावा उनके लिए क्वारंटाइन के नियमों में भी छुट दी गई थी। अब इसके बाद नगर निगम के सरकारी कर्मचारियों के लिए जाहीर किए इस नए आदेश के बाद और बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। लोगों का कहना है की यदि इस तरह RT-PCR टेस्ट नेगेटिव आने से काम पर हाजिर होने की छुट दी जा सकती है तो आम प्रजा को यह सुविधा क्यों नहीं दी जा रही।