पिता से रिश्ता तोड़कर अलग रहने वाली बेटियों के लिए सुप्रीम कोर्ट का झटका, दिया यह बड़ा निर्णय

पिता से रिश्ता तोड़कर अलग रहने वाली बेटियों के लिए सुप्रीम कोर्ट का झटका, दिया यह बड़ा निर्णय

जो संतान अपने पिता के साथ नहीं रहते है उन्हें अपने पिता से किसी भी तरह का खर्च मांगने का कोई अधिकारी नहीं

अपने पिता से किसी भी तरह का संबंध ना रखने वाली पुत्रियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा निर्णय दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के अनुसार, पिता के साथ किसी भी तरह का संबंध ना रखने वाली पुत्रियाँ अपने पिता से किसी भी तरह का खर्च वसूल करने की हकदार नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट कहा गया कि यदि कोई संतान अपने पिता के साथ संबंध नहीं रखता है तो उसे किसी भी तरह का खर्च या पैसे मांगने का हक नहीं रहता है। 
जज संजय किशन कौल और एम एम सुंदरेश की बैच ने एक तलाक के मामले की सुनवाई के दौरान यह निर्णय सुनाया था। केस की जानकारी के अनुसार, दंपत्ति ने 1998 में शादी की और साल 2001 में उन्हें एक पुत्री हुई। पति के दावों के अनुसार, दिसंबर 2002 से ही उसकी पत्नी और बेटी पत्नी के मायके में ही रह रहे है। पति ने हिन्दू मेरेज एक्ट के तहत अपनी पत्नी के साथ वैवाहिक संबंध पुन:स्थापित करने के लिए अर्जी भी दाखिल की थी। हालांकि उनकी यह अर्जी खारिज कर दी गई।
वहीं दूसरी और पत्नी ने आरोप लगाया कि उसके पति ने उसे ससुराल में से निकाल दिया था और दहेज की मांग की थी। उनकी बेटी जन्म से ही उनके साथ ही रह रही है। इसके चलते ही पत्नी ने तलाक भी मांगा है। बता दें कि दंपत्ति कि पुत्री फिलहाल 20 साल की हो गई है। 
इस मामले में कोर्ट द्वारा निर्णय देते हुये कहा गया कि पति को दो महीने के अंदर समाधान के तौर पर 10 लाख रुपये जमा करवाने होंगे। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुये कोर्ट ने निर्णय दिया कि यदि माता चाहे तो इन पैसों में से अपनी पुत्री की सहायता कर सकेगी। हालांकि पुत्री अपने पिता से अपना कोई भी हक मांगने के योग्य नहीं है। क्योंकि वह जन्म से ही अपनी माता के साथ रह रही है। हालांकि यदि पिता चाहे तो वह अपनी और से पुत्री को जो चाहे वह दे सकते है। पर वह उसे कायमी तौर पर किसी भी तरह का खर्च या भरणपोषण देने के लिए जिम्मेदार नहीं है।