मोरबी में केबल ब्रिज टूटने के रविवार के हादसे ने 1979 की बांध टूटने की घटना याद दिला दी है!

मोरबी में केबल ब्रिज टूटने के रविवार के हादसे ने 1979 की बांध टूटने की घटना याद दिला दी है!

रविवार को गुजरात के मोरबी स्थित मच्छू नदी पर बने केबल ब्रिज के टूटने और उसमें सैकड़ों लोगों के हताहत होने की दुःखांतिका ने यकायक ही 11 अगस्त  1979 के दिन इसी नदी पर बने बांध के टूटने की घटना की याद दिला दी है। उस वक्त हुए हादसे में हजारों लोगों की मृत्यु हुई थी। उस वक्त बांध के टूटने के बीच उसका कमजोर निर्माणकार्य कारणभूत बताया गया था।


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन सरकर ने उस जल-कांड को एक नैसर्गिक आपदा में खपा दिया था। ‘नो वन हेड अ टंग टू स्पिक’ नामक पुस्तक में टोम वूटेन और उत्पल सांडेसा ने सरकारी दावों को नकार दिया था। 


आपको बता दें कि 11 अगस्त 1979 के दिन हुए हादसे में मच्छू-2 बांध टूटने के बाद मोरबी शहर में चहुं ओर पानी-पानी हो गया था। हजारों की संख्या में लोग उस हादसे में मारे गये थे। 


जानकारी के अनुसार भारी बारिश और बाढ़ के कारण चार किमी लंबी मच्छू-2 बांध की दीवारों में कई जगहों दरारें पड़ीं थी और उसके बाद वे टूटीं। बांध की जल वहन क्षमता से तीन गुना पानी आ जाने के कारण वह टूट गया था। मोरबी बांध टूटने की घटना को तब गिनिज बुक ऑफ रेकॉड्ज में सर्वाधिक खराब बांध दुर्घटना के रूप में अंकित किया गया था।