रूस – यूक्रेन युद्ध : नहीं रहा ‘घोस्ट ऑफ कीव’, मरने से पहले दुश्मन के चालीस एयरक्राफ्ट को मार गिराया

रूस – यूक्रेन युद्ध : नहीं रहा ‘घोस्ट ऑफ कीव’, मरने से पहले दुश्मन के चालीस एयरक्राफ्ट को मार गिराया

युक्रेन के लिए युद्ध के दौरान दर्जनों रूसी लड़ाकू विमानों को मार गिराने वाले मिग-29 के यूक्रेनी पायलट को ये नाम दिया गया था

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में युक्रेन के बहुत बड़ा झटका लगा हैं। युक्रेन के लिए ‘कीव के भूत’ या ‘घोस्ट ऑफ कीव’ कहे जाने वाले पायलट की मौत हो गई है। युक्रेन के लिए युद्ध के दौरान दर्जनों रूसी लड़ाकू विमानों को मार गिराने वाले मिग-29 के यूक्रेनी पायलट को ये नाम दिया गया था।
ब्रिटिश अखबार द टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘घोस्ट ऑफ कीव’ की पहचान मेजर स्टीफन ताराबल्का के रूप में हुई है। उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द गोल्डन स्टार’ और ‘हीरो ऑफ यूक्रेन’ से नवाजा गया। बता दें कि 13 मार्च को मारे जाने से पहले मेजर ताराबल्का ने रूस के 40 एयरक्राफ्ट को मार गिराया था। सरकार के फंड से चलने वाले यूएस मीडिया संस्थान नेशनल पब्लिक रेडियो ने दावा किया कि उसने कुछ दिन पहले पायलट के माता पिता नहतालिया और इवोन ताराबल्का का इंटरव्यू लिया। उन्होंने बताया कि उनका बेटा युवावस्था से ही पायलट से बढ़कर कुछ और बनना चाहते थे। उन्होंने कहा कि हमें मालूम था कि वह एक फ्लाइंग मिशन पर है। माता पिता ने बताया कि उनके बेटे ने मिशन भी पूरा कर लिया था। लेकिन वह इसके बाद नहीं लौटे। 
बता दें कि फरवरी में यूक्रेन के खिलाफ रूस द्वारा युद्ध की शुरुआत की गई। इस दौरान यूक्रेन सरकार ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए ‘कीव के भूत’ की तारीफ की थी। सरकार ने उन्हें युद्ध में दुश्मन के पांच या उससे ज्यादा विमानों को मार गिराने वाले पायलट ‘ऐस’ की पदवी दी थी। 
गौरतलब है कि रूस औद्योगिक क्षेत्र डोनबास पर कब्जा करने का प्रयास कर रहा है। वहीं देश के दक्षिणी और पूर्वी हिस्से में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे रूसी सैनिकों का यूक्रेनी सैनिक डटकर मुकाबला कर रहे हैं। एक ओर जहां कुछ शहरों में शुक्रवार को तोप के हमलों, साइरनों और विस्फोटों की आवाज सुनी गई, तो दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र मारियुपोल से लोगों को निकालने की कोशिश में जुटा दिखा। मारियुपोल के मेयर ने कहा कि शहर में हालात भयावह हैं। मेयर वेडिम बोइचेंको ने कहा कि नागरिक जान बचाने की भीख मांग रहे हैं। अब दिनों का नहीं घंटों का मामला बचा है।