गुजरात के इस जिले में इस्तेमाल होती है गाय के गोबर से बनी राखियाँ, काफी अधिक है डिमांड

गुजरात के इस जिले में इस्तेमाल होती है गाय के गोबर से बनी राखियाँ, काफी अधिक है डिमांड

रक्षाबंधन का त्योहार आने में मात्र कुछ ही दिन है बाकी, बाज़ारों में बन रही है विभिन्न प्रकार की राखियाँ

कुछ ही दिनों में भाई-बहन का पवित्र त्यफर रक्षाबंधन का त्योहार आने ही वाला है। त्योहार को जहां कुछ ही दिन बाकी है, तो सभी बहनें बाजार में जाकर अपने भाई के लिए एक से बढ़कर एक राखियाँ खरीदने पहुंच जा रही है। इसी बीच गुजरात के कच्छ में गाय के गोबर से बनने वाली राखियाँ भी डिमांड भी बढने लगी है। भुज के कुकमा गाँव के रामकृष्ण ट्रस्ट द्वारा पिछले चार साल से गाय के गोबर में से बनाई जा रही राखी आजकल काफी डिमांड में चल रही है। 
रामकृष्ण ट्रस्ट द्वारा पिछले चार सालों से गाय के गोबर से राखियाँ बनाई जा रही है। हिंदू सभ्यता में गाय का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है। धार्मिक के अलावा वैज्ञानिक दृष्टि से भी गाय तथा गाय के दूध और घी में से बनने वाली चीजों को काफी हितकारी बताया गया है। इसी चीजों को ध्यान में रखते हुये ट्रस्ट द्वारा गौसंवर्धन और उसके महत्व बढ़ाने के लिए एक खास वैदिक राखी बनाई जा रही है। इस साल भी इस तरह की 10 से 12 हजार राखियाँ विभिन्न आकारों में बनाई गई है। 
संस्था के प्रबंधक जयभाई ने कहा कि केंद्र द्वारा गाय उपार्जन के लिए विभिन्न कार्य किए जाते है। प्रधानमंत्री मोदी के वोकल फॉर लोकल के नारे को महत्व देकर चाइनीज और प्लास्टिक की रखियों के स्थान पर गाय के गोबर में से राखी बनाने का सुझाव दिया गया था। आज चार साल से वह इस तरह की राखियाँ बना रहे है और हर साल इसकी डिमांड बढ़ती ही जा रही है। इस कार्य में लगातार कारीगर जुड़े हुये है। जयभाई ने कहा कि उनकी संस्था द्वारा तकरीबन 400 गायों का पालन किया जा रहा है। 
इसके अलावा ग्रामोद्योग योजना के तहत विभिन्न चीजों का उत्पादन किया जा रहा है। जिसमें गौमूत्र की सहायता द्वारा अर्क तथा साबुन और आयुर्वेदिक दवाएं भी बनाए जाते है। हर महीने की 12,13 और 14 तारीख को सजीव खेती संशोधन की तालिम कक्षा का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें कच्छ, गुजरात और देशभर में से किसान आते है। इस तालिम शिबीर में आने वाले किसानों के लिए केंद्र सरकार द्वारा निशुल्क भोजन की व्यवस्था भी की जाती है।