राहुल गांधी ने चुनावी नतीजों पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, 'हम सीखेंगे!' सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे, 'लेकिन कब?'

राहुल गांधी ने चुनावी नतीजों पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, 'हम सीखेंगे!' सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे, 'लेकिन कब?'

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। पंजाब में कांग्रेस का सफाया हो गया है और आम आदमी पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल की है। बाकी के 4 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने मैदान मार लिया है। चुनावी नतीजों के बाद एक बार फिर कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने मीडिया में आकर अपनी वही पुरानी घिसी-पिटी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि जनता के फैसले को विनम्रता पूर्वक स्वीकार करते हैं। जनादेश जीतने वालों को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों को उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए धन्यवाद। उन्होंने कहा कि हम इस हार से सीखेंगे और भारत के लोगों के हितों के लिए काम करते रहेंगे।
वहीं कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने पार्टी की ओर से मीडिया के समक्ष अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने में सफलता मिली है लेकिन हम उस जनमत को सीटों में नहीं बदल पाए। हम उत्तराखंड और गोवा में बेहतर चुनाव तो लड़े लेकिन जनता का मन नहीं जीत पाए और विजय के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाए। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों में चुनाव परिणाम कांग्रेस की आशाओं के विपरीत रहे। हमें उत्तराखंड, गोवा और पंजाब में बेहतर परिणामों की उम्मीद थी, लेकिन हम स्वीकार करते हैं कि हम लोगों का आशीर्वाद पाने में असफल रहे। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने निर्णय लिया है कि वे बहुत जल्द कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाकर इन सभी हार के कारणों और पांच राज्यों के चुनाव पर एक व्यापक अंतर मंथन करेंगे।
कांग्रेस पार्टी की ओर से आई इन प्रतिक्रियाओं का सोशल मीडिया पर मजाकिया मीम्स पोस्ट कर रहे हैं, लोग मजाक भी उड़ा रहे हैं और अपनी-अपनी टिप्पणियां भी कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा है कि उत्तराखंड और पंजाब, 6 महीने पहले कांग्रेस के हाथ में नजर आ रहे थे और दोनों ही जगहों पर करारी हार हुई है। राजस्थान में भी आत्मविश्वास में ना रहें, गलतफहमी में रहे तो वह भी गंवा देंगे। बेरोजगार युवाओं और किसानों के किए वायदे पूरे नहीं हुए हैं। योजनाओं की घोषणा मात्र से चुनाव नहीं जीते जाते हैं।
अन्य यूजर ने कहा की सत्ता पक्ष के हर फैसले का विरोध करना और सभी कामों में जरूरत से ज्यादा राजनीति करना नुकसान दायक रहता है। जनता की नब्ज पकड़ें और विरोध की राजनीति से अलग हटें। एक अन्य गुर्जर ने राहुल पर तंज कस दिया कि, ‘भाई, आपका परिवार कांग्रेस छोड़ दे तो कांग्रेस का भला हो जाएगा।’ वहीं एक और शख्स ने राहुल गांधी के ‘सीखेंगे’ वाले बयान पर कहा कि कब सिखोगे भाई, जब सीख जाओ तो सबको बता देना!
एक अन्य यूजर ने लिखा कि जब तक आप लोग असली कार्यकर्ता और चापलूस में फर्क नहीं समझ पाओगे, आपके साथ ऐसा ही होता रहेगा। मध्यप्रदेश में सिंधिया और राजस्थान में सचिन पायलट ने जमीन पर काम किया लेकिन आप लोगों ने कमलनाथ और गहलोत को जनता पर थोप दिया। एक यूजर ने यह कहा कि सच बताना तुम लोग मंथन करते भी हो या नहीं। या फिर अगला चुनाव हारने की तैयारी करते हो। मैंने 2013 दिल्ली सहित चार विधानसभाओं के परिणाम के बाद यही प्रतिक्रिया सुनी है। हार का वाजिब कारण पर तुम लोग नहीं पहुंच पाते या यूं कहें कि जानना ही नहीं चाहते।
खैर, लोग कुछ भी कहें कांग्रेस पार्टी को यदि अब फिर से सत्ता की मुख्यधारा में आना है तो उसे जमीनी तौर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाना होगा और एयर कंडीशन में बैठकर राजनीतिक व्यूह रचना बनाने से बाज आना होगा। 5 विधानसभा चुनावों के नतीजे घोषित होने के दूसरे ही दिन देखा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात पहुंच चुके हैं और बाकायदा लोक संपर्क शुरू भी कर दिया है। यही वह तरीका होता है जिससे राजनेता और राजनीतिक पार्टियां आम लोगों से जुड़ी रहती हैं। कांग्रेस को भी आम लोगों से अपना सीधा रिश्ता कायम करना होगा। केवल चुनाव से पहले सक्रिय हो जाना और फिर नेपथ्य में चले जाना समस्या का समाधान नहीं है। देखते हैं अब कुछ महीनों बाद गुजरात के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी का क्या प्रदर्शन रहता है? ऐसा ना हो कि उसका भी वही परिणाम आए जैसा अभी आया है और कांग्रेस पार्टी की तब भी वही प्रतिक्रिया आए जैसी अभी आई है।