कोरोना के प्रकोप से परेशान लोगों को झेलनी पड रही महंगाई की मार

कोरोना के प्रकोप से परेशान लोगों को झेलनी पड रही महंगाई की मार

सींगतेल सहित तमाम खाद्यतेलो में बीते एक साल में 1200 रूपए तक बढे़, सनफ्लावर तेल की कीमत में भी प्रति डब्बे 1200 रुपए बढे

एक ओर लोग कोरोना संक्रमण से परेशान हैं वहीं, दूसरी ओर बढ़ती हुई महंगाई ने भी लोगों की कमर तोड़ दी है। पिछले एक साल से खाद्य तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के कारण गृहणियों का बजट बिगड़ गया है। हालाकि पिछले 1 सप्ताह में भले ही खाद्य तेल की कीमतों में कमी आई है लेकिन बीते साल की तुलना करें तो यह कीमतें अभी भी आसमान को छू रही हैं। सिंगतेल की कीमत में पिछले सप्ताह 70 रूपए की कमी आई थी और कपासिया तेल में 75 रूपए, पामोलिन तेल में 80 रूपए, सन फ्लावर में 75 रूपए की कमी आई। फिलहाल सिंगतेल की कीमत 2650 के आसपास है और कपासिया तेल के डिब्बे की कीमत 2400 से लेकर 2450 के करीब है। वहीं पामोलिन तेल की कीमत भी 2150 रुपए के करीब है।
विक्रेताओं का कहना है कि भले बीते कुछ दिनों में खाद्य तेल की कीमत घटी है, लेकिन पिछले साल की तुलना में अभी भी कीमत काफी अधिक है। 1 साल में खाद्य तेल की कीमत 700 रूपए से 1000 रूपए तक बढ़ गई है। इस साल खाद्यतेल की कीमत आसमान पार पहुंच गई है जो कि बीते साल 2200 के करीब थी। कपासिया तेल के डिब्बे में 50 बढ़ गए है। कपासिया तेल की कीमत 2450 रूपए से बढ़कर 2500 रूपए पर पहुंच गई है। कपासिया तेल की कीमत में एक डब्बे पर पिछले 1 साल में 1000 रुपए की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वही पामोलिन तेल की कीमत पिछले साल 1200 रूपए के करीब थी जो कि अब 2100 पर है।
सनफ्लावर की कीमत एक डब्बे की 2700 रुपए तक पहुँच गई है, जो कि बीते साल 1500 रुपए थी। व्यापारियों का कहना है कि वैश्विक बाजार में सींगदाने की कीमत बढने के कारण तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होने के कारण कीमत बढी है। एक अंदाज के अनुसार, इस साल के अंत तक में तेल की कीमत 3000 तक पहुंच सकती है। दूसरी ओर सौराष्ट् ऑइल मिलर एसोसिएशन का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में विदेशो में सींगदाने की डिमांड बढ़ी है। इसके चलते ऑयल कंपनियों को पर्याप्त मूंगफली नहीं मिलती है। इस कारण से सींगतेल की कीमत बढ़ रही है। दूसरी ओर किसानों का कहना है कि अतिवृष्टि के कारण सिंगदाना की फसल नष्ट हो जाने से की कीमत में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।