ऑक्सिजन के साथ अब ऑक्सिजन कॉन्सन्ट्रेटर्स की भी किल्लत

ऑक्सिजन के साथ अब ऑक्सिजन कॉन्सन्ट्रेटर्स की भी किल्लत

नेबुलाइजर, ब्लड प्रेशर मॉनिटर, डिजिटल थर्मामीटर और ग्लूकोमीटर को ड्रग्स की श्रेणी दिया गया स्थान, सप्लाई में खड़ी हुई बाधा

कोरोना के बढ़ते शिकंजे के कारण मेडिकल गाइडलाइंस भी बदल रही है। केंद्र सरकार की ओर से जनवरी से मेडिकल डिवाइस नेबुलाइजर, ब्लड प्रेशर, मॉनिटर डिजिटल थर्मामीटर और ग्लूकोमीटर को ड्रग्स की श्रेणी में स्थान दिए जाने के कारण मेडिकल डिवाइस की सप्लाई में बाधा खड़ी हो गई है। चालू वर्ष में जनवरी महीने में से मेडिकल डिवाइस के उत्पादन, आयात और रिटेल बिक्री सहित बिक्री के नियमों के अंतर्गत लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया है। जिससे कि इनका उत्पादन करने वाली कंपनियों को कई अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है।
ई-कॉमर्स कंपनियां भी पिछले साल की अपेक्षा इस साल इन मेडिकल साधनों का व्यापार घट गया है। मेडिकल डिवाइस के उत्पादकों के अनुसार घर पर ही उपचाराधिन कोरोना के मरीजों के लिए मेडिकल डिवाइस का उपयोग ज्यादा किया जा रहा है। इन दिनों देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में मेडिकल डिवाइस के कई चीजों की मांग बढ़ी है। केंद्र सरकार की ओर से ऑक्सीजन कन्सट्रेटर को अभी तक ड्रग्स एक्ट में नहीं शामिल किया गया है। ऑक्सीजन उत्पादको के लिए ऑक्सीजन पोर्टेबल मशीन सितंबर तक स्वैच्छिक लाइसेंस के अंतर्गत बिक्री की जाएगी, लेकिन ऑक्सीजन मशीन के उत्पादक और व्यापारियों को ड्रग्स इंस्पेक्टर लाइसन्स के लिए परेशान कर रहे हैं।
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo:AFTAB ALAM SIDDIQUI /IANS)
 
देशभर में इन दिनों कोरोना के बढते केस के कारण ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए भी शॉर्टेज खड़ी हो गई है। घर पर उपचार ले रहे कोरोना मरीजों को दिए जाने वाले ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का स्टॉक खत्म हो गया है।  कंस्ट्रेटर का उत्पादन करने वाली कंपनी के केरल के प्लान्ट में कर्मचारियों  को कोरोना हो जाने से उत्पादन बंद कर दिया गया था। आगामी 15 दिन में इनकी नई सप्लाई नहीं हो सकती। उत्पादन करने वाली दोनों कंपनियों ने आयात के आर्डर भी दे दिए हैं , लेकिन वह कितने दिनों में आएगा यह पता नहीं। महाराष्ट्र और दिल्ली सहित कई राज्यों में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को मेडिकल डिवाइस की श्रेणी में नहीं रखा गया है साथ ही कई नियमों के कारण ही कॉमर्स कंपनियां इसकी बिक्री नहीं कर सकती।