चाय बनाने से इंकार करने वाली पत्नी की हत्या करने वाले पति की सजा में कोई रियायत नहीं

चाय बनाने से इंकार करने वाली पत्नी की हत्या करने वाले पति की सजा में कोई रियायत नहीं

२०१३ का मामला, अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा - विवाह समानता पर आधारित साझेदारी है, महिला पुरुष की संपत्ति नहीं होती!

एक हत्या के मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने पत्‍नी की हत्‍या के दोषी पति की दया की अपील को खारिज कर दिया। इस मामले में पति ने अपनी पत्नी की सिर्फ इसलिये हत्या कर दी थी क्योंकि उसने चाय बनाने से इंकार कर दिया था।  केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने  पति की इस दलील को मानने से इंकार कर दिया कि पत्नी द्वारा चाय बनाने से इनकार करने पर उसने अपना आपा खो दिया और ये हादसा हो गया। 

पति को 10 साल की सजा सुनाई गई है

दरअसल ये मामला साल 2013 का है और इस केस में पति संतोष को 10 साल की सजा सुनाई गई थी। इनकी छह साल की बेटी इस घटना की चश्मदीद गवाह थी और उसने केस में गवाही भी दी थी। कोर्ट ने पति की दलील खारीज करते हुए कहा कि 'पत्नी कोई गुलाम या कोई वस्तु नहीं' है।’

अदालत की ये थी टिप्पणी

अपने फैसले में न्‍यायमूर्ति रेवती मोहिते देरे ने कहा कि 'विवाह समानता पर आधारित साझेदारी है', लेकिन समाज में पितृसत्ता की अवधारणा अब भी कायम है और अब भी यह समझा जाता है कि महिला पुरुष की सम्पत्ति है, जिसकी वजह से पुरुष यह सोचने लगता है कि महिला उसकी 'गुलाम' है।

इसके अलावा अदालत ने ये भी कहा कि अपनी पत्नी के साथ मारपीट और फिर उसे अस्पताल ले जाने से पहले सबूत नष्ट करने में कीमती समय बर्बाद हुआ। ऐसे में सजा में कोई ज्यादती नहीं हुई और इसी तर्क कर अदालत ने आरोपी की अपील खारिज कर दी।

पति-पत्नी में अक्सर होता था झगड़ा

दरअसल महाराष्‍ट्र के सोलापुर में रहने वाला 35 साल के संतोष महादेव अटकर और उसकी पत्‍नी के बीच अकसर झगड़ा हुआ करता था। पति को शक था कि उसकी पत्‍नी उसे धोखा दे रही है। 19 दिसंबर 2013 को पीडि़ता मनीषा बिना चाय तैयार किए घर से जा रही थी। जिसके कारण दोनों में झगड़ा हो गया। इस बीच संतोष ने गुस्से में आकर अपनी पत्नी के सिर पर हथौड़े से हमला कर दिया। इस वार से मनीषा घायल हो गई, जिसके बाद पति खून के धब्बों को साफ कर उसे अस्पताल ले गया। लेकिन इलाज के दौरान 25 दिसंबर को मनीषा ने दम तोड़ दिया।