मध्यप्रदेश : सरकारी कागजों में मृत घोषित ये ‘जिंदा आदमी’ मांग रहा खुद के जीवित होने का प्रमाण

मध्यप्रदेश : सरकारी कागजों में मृत घोषित ये ‘जिंदा आदमी’ मांग रहा खुद के जीवित होने का प्रमाण

मध्य प्रदेश के देवास जिले में देवगढ़ गांव का निवासी मेहरबान को सरकारी कागज में मारा, 2013 से अपने जिंदा होने का सबूत मांग रहा है मेहरबान

कुछ साल पहले पंकज त्रिपाठी की एक फिल्म आई थी ‘कागज’ जिसमें पंकज त्रिपाठी ने एक ऐसे व्यक्ति का किरदार निभाया था जो असल जीवन में जीवित होने के बाद भी सरकारी कागज में मृत घोषित किया जा चुका था और फिर उस फिल्म में जीवित रूप में रहे सरकारी तौर पर मृत व्यक्ति के खुद को जीवित साबित करने की जद्दोजहद को दिखाया गया है। अब ये कहानी फ़िल्मी परदे पर तो अच्छी लगती है पर अगर ये कहानी वास्तविक जीवन में घटित होने लगे तो इस पर विश्वास कर पाना संभव नहीं है। लेकिन एक ऐसा ही अजीबोगरीब मामला मध्य प्रदेश में देखने को मिल रहा है।
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के देवास जिले में एक मामला सामने आया है जहाँ एक ऐसा जीवित व्यक्ति को सरकारी कागजों मृत घोषित कर दिया गया है। देवगढ़ गांव का निवासी मेहरबान 2013 से अपने जिंदा होने का सबूत प्रशासन से मांग रहा है लेकिन उसकी कई शिकायतों के बावजूद उसे जिंदा नहीं करार दिया गया है। दरअसल ये परिस्थति बागली अनुभाग के ग्राम पंचायत देवगढ़ में जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण पैदा हुई है।
आपको बता दें कि साल 2013 मेहरबान को परिवार कार्ड में सरकारी कर्मचारियों ने मृत बता दिया था। इस वजह से वह पिछले करीब 8 साल से गांव से लापता रहा है। आखिर इतनी बड़ी गलती की भेंट चढ़े मेहरबान को ना तो राशन मिल रहा ओर न ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है। इतना ही नहीं इस गलती के चलते वृद्धा पेंशन से भी वह वंचित है। मेहरबान इस गलती को सुधारे के लिए कई बार पंचायत के चक्कर लगा चुके हैं लेकिन अभी तक इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है। 
गौरतलब है कि मेहरबान के पास ना तो जमीन है और ना ही कमाने का कोई अन्य साधन है और न ही अधिक उम्र की वजह से वो कही काम करने में भी सक्षम नहीं है, इसलिए वह अब वृद्धवस्था में एक मात्र सहारा सरकार को मान रहा है। मेहरबान ने बताया कि उसने 3-3 बार ग्राम पंचायत में शिकायत की थी। यहां तक कि हेल्पलाइन पर भी इस मामले की जानकारी दी थी। फ़िलहाल मेहरबान कागजों में जिंदा होने की दुआई मांग रहा है। इधर, ओमप्रकाश ग्राम सचिव ने इस भूल के पीछे का कारण मेहरबान के कई सालों तक गांव से अनुपस्थित रहने को बताया। उनके अनुसार इस मामले पर सुधार कार्य चल रहा है जिसे जल्द ही सुधार करवा देंगे।