फेफड़े भी अमीरी-गरीबी का भेद करते हैं!?, जानें क्या कहती है हावर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च

फेफड़े भी अमीरी-गरीबी का भेद करते हैं!?, जानें क्या कहती है हावर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च

6 से 74 साल के 2 लाख से अधिक लोगों पर किए गए सर्वे में निकला नतीजा, 1960 से लेकर 2018 तक के डाटा का किया गया विश्लेषण

अमीर लोगों की तुलना में गरीब लोगों को फेफड़ों की बीमारी और सांस की समस्या होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है। जी हाँ, यह हम नहीं कह रहे, बलकि यह बात सामने आई है हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के द्वारा किए गए एक शोध में पता चली है। इसके अलावा गरीब परिवार के 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अमीर बच्चों की तुलना में अस्थमा का खतरा दोगुना अधिक होता है, यह भी शोध में सामने आया है। 
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने 1960 और 2018 के बीच किए गए एक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के डेटा को शामिल किया। यह सर्वेक्षण अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र द्वारा किया गया था। शोधकर्ताओं के अनुसार, सर्वेक्षण में 6 से 74 वर्ष की आयु के 2,15,399 लोग शामिल थे। जिन्हें पारिवारिक आय के आधार पर पांच समूहों में बांटा गया था। इस रिसर्च में जो तीन मुख्य बातें सामने आई थी, वह इस प्रकार है।
- शोध के अनुसार, सबसे कम आय वाले 48.8 प्रतिशत वयस्कों ने सांस लेने में कठिनाई की शिकायत की। उच्च आय वाले लोगों में यह आंकड़ा 27.9 प्रतिशत था।
- सांस की तकलीफ भी अमीर लोगों की तुलना में कम आय वाले लोगों में 3 गुना अधिक आम थी। रिपोर्ट के अनुसार, 20 प्रतिशत गरीब अमेरिकियों को सांस लेने में कठिनाई होती है, जबकि केवल 10 प्रतिशत अमीर लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती है।
- इसके अलावा कम आय वाले घरों में रहने वाले 15 प्रतिशत बच्चों को अस्थमा की तकलीफ थी, जबकि अमीर घर के बालकों में यह प्रमाण मात्र 7 प्रतिशत था। 
शोधकर्ताओं के अनुसार, उच्च आय वाले घरों में रहने वाले लोग धूम्रपान छोड़ रहे हैं। यह एक कारण हो सकता है कि उन्हें फेफड़े और सांस लेने में समस्या की बीमारियाँ कम हो रही है। 1971 से 2018 के आंकड़े बताते हैं कि उच्च आय वालों में धूम्रपान की दर 62 से गिरकर 34 प्रतिशत हो गई है। साथ ही कम आय वाले लोगों में यह प्रमाण 58 से घटकर 56 हो गई है। अर्थात, गरीब परीवालों में धूम्रपान करने वालों की संख्या में मात्र 2 प्रतिशत ही कमी आई थी। शोधकर्ताओं के अनुसार गरीब लोग प्रदूषित हवा और स्मॉग के बीच अधिक रहते हैं, वहीं दूसरी और उच्च आय वाले लोगों को मिलने वाली सुविधा उनके लिए इन सभी जोखिम का प्रमाण कम कर देते है।