‘साथ जियेंगे, साथ मरेंगे’; पत्नी की मृत्यु के चंद घंटों में पति ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया!

‘साथ जियेंगे, साथ मरेंगे’; पत्नी की मृत्यु के चंद घंटों में पति ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया!

पत्नी के मृत्यु की जानकारी नहीं दी गई थी, फिर भी हुआ आभास; पत्नी के मृत्यु के एक घंटे बाद उड़ गए पति के भी प्राण

माना जाता है की पति-पत्नी का रिस्ता सात जन्मों का होता है। सात फेरे लेकर पति-पत्नी एक दूसरे के सुख-दु:ख मेन साथ रहने का वचन देते है, हालांकि बहुत ही कम लोग ऐसे होते है जो इस वचन को पूरी तरह निभा पाते है। हालांकि कई लोग ऐसे भी होते है, जो ज़िंदगी भर अपने इस वचन को निभाते है। आज हम बात करेंगे एक ऐसे ही दंपत्ति की जिसने अपने साथ मरने और जीने की कसम को सच साबित किया। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार, भालोद गाँव में रहने वाले डॉ. जयेन्द्रसिंह बारोट जो की एक पशु नियामक के तौर पर सरकारी सेवा में थे। इस दौरान उनकी मुलाक़ात अनसुया बेन के साथ हुई थी। दोनों को एक-दूसरे के प्रति लगाव उत्पन्न हुआ था और दोनों ने शादी करने का निर्णय किया था। शादी के बाद उनकी एक बेटी दर्शना हुई थी। पूरा जीवन उन्होंने काफी प्रेम और स्नेह से बिताया। अपने 58 साल के जीवन में दोनों कभी अलग नहीं हुये थे। जयेन्द्रसिंह कहते थे कि अगर उनकी पत्नी कि मृत्यु उनके पहले हुई तो वह भी कुछ ही समय में अपना देह त्याग देंगे। 
जयेन्द्रसिंह ने अपना यह वचन पाला भी था। दोनों कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें राजपीपला की कोविड अस्पताल में दाखिल किया गया। जहां अनसुया बेन की मृत्यु हो गई। हालांकि इस बात की जानकारी जयेन्द्र सिंह नहीं दी गई। पर अपनी पत्नी के दुनिया में ना रहने का आभास हुआ हो, पत्नी के मरने के एक घंटे के बाद ही जयेन्द्र सिंह ने भी अपना देह त्याग दिया। इस बात की जानकारी जब लोगों को मिली, तब लोगों ने दोनों को सातों जन्म साथ रहने की दुआ की थी।