कच्छ : नवजात को हुआ पीलिया, डॉक्टर ऐसे बने देवदूत और बचाई जान!

कच्छ : नवजात को हुआ पीलिया, डॉक्टर ऐसे बने देवदूत और बचाई जान!

पूरा शरीर पड़ चुका था पीला, दस दिनों तक अस्पताल में रहा था भर्ती, खून बदलकर बचाई जान

डॉक्टर को लोग भगवान का दूसरा रूप मानते है। माना जाता है कि यदि भगवान में किसी को जीवन देने की शक्ति है तो मात्र डॉक्टर ही ऐसा है जो उस जान को किसी भी परिस्थिति में बचा सकने की शक्ति रखता है। आप सब ने भी ऐसे कई मामलों के बारे में सुना होगा या खुद महसूस भी किया होगा। कुछ इसी तरह का एक मामला कच्छ से सामने आया था, जहां एक पीलिया की बीमारी से ग्रस्त बालक को डॉक्टरों ने देवदूत बनकर बचा लिया। डॉक्टरों के इस प्रयास के चलते माता-पिता काफी भावुक हो गए और उन्होंने डॉक्टरों के इस प्रयास के लिए उन्हें एक खास पत्र लिखकर धन्यवाद व्यक्त किया था। 
विस्तृत जानकारी के अनुसार, कच्छ के जी के जनरल हॉस्पिटल के बाल विभाग में डॉक्टरों ने मिलकर एक बालक के शरीर में बुरी तरह से फैले पीलिया की बीमारी का उचित निदान कर उसे नई जिंदगी दी है। बच्चे को बचाने के लिए डॉक्टरों ने काफी सावधानी से बालक के शरीर का पूरा खून निकाल कर उसे मौत के मुंह से वापिस निकाला था। इस बारे में बात करते हुये बाल विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि हनीफ़ा सलीम नाम की इस महिला को एक निजी अस्पताल से यहाँ पर शिफ्ट किया गया था। बच्ची को जैसे ही यहाँ लाया गया, उन्होंने देखा कि उसका पूरा शरीर पीला पड़ चुका है। जिस पर उसका रिपोर्ट किया गया तो पता चला कि उसे पीलिया है। हालांकि उसका प्रमाण 21 जितना था, जो की आम तौर पर 1 से भी कम होना चाहिए। 
डॉक्टरों ने बालक के शरीर का पूरा खून बदलने का निर्णय लिया। हालांकि यह काफी कठिन प्रक्रिया थी। पर डॉक्टरों ने उसे सफलतापूर्वक पार कर लिया। इसके लिए दो एम्बेलिकल केथेटर रखे गए। जिसमें से एक खराब खून बहार निकालता तो एक अच्छा खून अंदर धकेलता। हालांकि इन सभी के बावजूद बालक के शरीर में से खून, सुगर की कमी ना हो इसका खास ध्यान रखना था। अंत में बालकों को सफलता मिली और दस दिनों के बाद बालक का रिपोर्ट नॉर्मल आया और उसे छुट्टी दी गई। दस दिनों के बाद बालक को सहीसलामत देखकर माता-पिता भी अत्यंत खुश हो गए और उन्होंने डॉक्टर को एक खास पत्र लिखकर उनका धन्यवाद किया था।