कलोल टैंक हादसा : छोटे भाई को पढ़ाने की ख्वाहिश, फीस के लिए काम करने को हुए थे तैयार हुए थे दोनों भाई, असामयिक मौत ने छिना घर का चिराग

कलोल टैंक हादसा : छोटे भाई को पढ़ाने की ख्वाहिश, फीस के लिए काम करने को हुए थे तैयार हुए थे दोनों भाई, असामयिक मौत ने छिना घर का चिराग

रासायनिक टंकी साफ करने में एक एक करके कुल पांच लोगों की हुई मौत

कलोल में शनिवार को एक निजी कंपनी के टैंक की सफाई करने गए पांच मजदूरों की मौत हो गई। इस हादसे में मरने वालों में हसन सिंह के दो भाई राजन सिंह और अनीस सिंह भी थे। राजन सिंह और अनीस सिंह कलोल में कैटरर्स का काम करते थे। अपने भाई के कॉलेज की फीस का बंदोबस्त करने के लिए इस साल दीवाली पर अधिक काम करके पैसे कमाना चाहते थे और इसीलिए वो अपने गृहनगर आगरा नहीं गए। अपने भाई की मौत की खबर सुनकर आगरा से कलोल पहुंचे हसुसिंह ने  बीबीसी गुजराती को बताया "हम तीन भाई हैं। मैं सबसे छोटा हूं। मेरे माता-पिता काम करते हैं। मेरे दो भाई राजन सिंह और अनीस सिंह पैसे की कमी के कारण पढ़ाई नहीं कर सके। इसलिए पूरा परिवार चाहता था कि मैं पढ़ूं और बड़ा आदमी बनूं। इसलिए मेरे दो भाई काम करके मुझे पढ़ाया। उनकी आँखों में मुझे शिक्षित करने का सपना था जिसे लेकर वो गुजरात आए थे। मेरे दोनों भाई कैटरर्स का काम करके पैसा कमाते थे। कोरोना के दौरान कोई आय नहीं थी। उन्होंने घर भी कम पैसे भेजे थे।"
हसुसिंह ने आगे बताया "एक महीने पहले मैं खुद यहां अपने भाइयों की मदद के लिए आया था लेकिन उन्होंने मुझे वापस भेज दिया। दोनों ने जोर देकर कहा कि मुझे पढ़ना चाहिए। उसने मुझसे यह भी कहा कि वह एक महीने में मेरे कॉलेज की फीस भेज देगा और वे लोग दीवाली पर फीस भेजने के लिए पैसे लेने आगरा भी नहीं आए और वे मेरी फीस के लिए एक रासायनिक टैंक में उतरने को तैयार हुए। मेरे परिवार का सहारा चला गया अब मेरा पढ़ना न पढ़ना किसी के लिए मायने नहीं रखता।"
हादसे में मरने वाले दो सगे भाई के छोटे भाई हसुसिंह(Photo Credit : .bbc.com/gujarati)
आपको बता दें कि अनीस सिंह और राजन सिंह खतराज जीआईडीसी में अन्य कार्यकर्ताओं के साथ रहते थे जहाँ उसकी मुलाकात टटसन फार्मास्युटिकल्स कंपनी में सुरक्षा गार्ड के पद पर कार्यरत उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के सुनील गुप्ता से हो गई। उसी गांव के रामजी पांडे ने बीबीसी को बताया, "टुटसन फार्मास्युटिकल कंपनी हर तीन महीने में रासायनिक टैंक की सफाई करती है और दो कर्मचारियों को 6,000 रुपये का भुगतान करती है। इस बार कर्मचारियों की कमी को देखते हुए सुनील गुप्ता अनीस सिंह और राजन सिंह को केमिकल से भरी पानी की टंकी को साफ करने के लिए ले आए।"
आगे उन्होंने बताया "ये दोनों अंदर घुस गए और उनका दम घुटने लगा। सुनील गुप्ता उन्हें बचाने के लिए चिल्लाने लगे। मेरे पहुंचने से पहले सुनील गुप्ता भी अंदर आ गए। उन्होंने उनमें से एक को टैंक से बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन वह नीचे गिर गया। फिर मैं अपनी पत्नी को किसी और को बुलाने को कहा। उन सभी के साथ हमारे व्यक्तिगत संबंध थे इसलिए मेरी पत्नी भी मुझे बचाने के लिए नीचे चली गई लेकिन मैंने मना कर दिया और दूसरों को बुलाया।"
"मेरी आवाज सुनकर बांदा गांव के विनय कुमार और देवेंद्रसिंह तीनों को बचाने के लिए नीचे आए लेकिन वे भी दम घुटने से मर गए। मैंने तुरंत पुलिस और अपने बॉस को फोन किया। पुलिस और फायर ब्रिगेड आए। लेकिन हमारे मालिक नहीं आए। पांच लोग मेरी आँखों के सामने मर गए।" अपने दुःख को व्यक्त करते हुए पांडे ने बताया कि वो रोज एक साथ खाते-पीते थे और कल से उन लोगों के शवों को देखकर वो भी कुछ भी नहीं खा पा रहे है।
घटना में हसुसिंह सिंह की तरह आगरा के शमशाबाद निवासी अभिषेक सिंह ने अपने बड़े भाई देवेंद्र सिंह को खो दिया है. वह भी अपने भाई की मौत की खबर सुनकर गुजरात पहुंच गया था। उन्होंने बीबीसी को बताया, "मैं खुद आगरा में फिटर का काम करता हूं। मेरे पिता का देहांत बहुत कम उम्र में हो गया था। मेरे बड़े भाई देवेंद्रसिंह हमारे तीन भाइयों की देखभाल कर रहे थे। वह हमारे परिवार के लिए काम कर रहे थे। जिसके कारण वह लंबे समय तक हमारे गांव भी नहीं आए। हमारा परिवार कोरोना में काम की कमी के कारण आर्थिक संकट में था। कल जैसे ही मुझे खबर मिली, मैं सीधे अहमदाबाद पहुंचा। मुझे अपने भाई की मौत के बारे में पता नहीं है। केमिकल टैंक की सफाई करने वाले राजन सिंह और अनीस सिंह मेरे चचेरे भाई हैं। उन्हें बचाने की कोशिश में मेरे भाई की मौत हो गई।"
आपको बता दें कि पूरे मामले की जांच कर रहे गांधीनगर के डीवाई एसपी एमके राणा ने बीबीसी को बताया "जैसे ही हमें फोन आया, हम फायर ब्रिगेड टीम के साथ वहां पहुंचे। फायर ब्रिगेड ने हमें बचाया, हमने पूरी घटना की जांच चल रही है और हम संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ घातक आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज करेंगे। सभी दोषियों को मामला दर्ज करके गिरफ्तार किया जाएगा।" फिलहाल फैक्ट्री के मालिक शिवांशु रस्तोगी से ने अब तक सामने आ कर कोई जानकारी नहीं दी है।