जूनागढ़: महामंडलेश्वर भारतीबापू हुए पंचतत्वों में विलीन, 93 वर्ष की उम्र में हुए ब्रह्म में विलीन

जूनागढ़: महामंडलेश्वर भारतीबापू हुए पंचतत्वों में विलीन, 93 वर्ष की उम्र में हुए ब्रह्म में विलीन

हाल ही में मनाया गया था 93वा जन्मदिन, लगी थी कोरोना की वैक्सीन

जूनागढ़ में भारतीय आश्रम के महामंडलेश्वर विश्वंभर भारतीबापू ब्राह्मलीन हो गए। रात के डेढ़ बजे भारतीबापू बीमार होने के कारण ब्रह्मलीन हो गए। आज सुबह 8:30 बजे से 9:30 बजे तक अहमदाबाद के सरखेज क्षेत्र के भारतीय आश्रम में भक्तों को भारतीबापू के अंतिम दर्शन का लाभ दिया गया और इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को जूनागढ़ स्थित भारती आश्रम ले जाया गया जहाँ कोरोना के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए उन्हें समाधी दी जाएगी।
यह भी बताया जा रहा है कि महामंडलेश्वर विश्वम्भर भारतीबापू को जूनागढ़ में आश्रम में समाधी दी जाएगी। भारती बापू ने 1992 में महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त की और पुरुषोत्तमलालजी महाराज के नशामुक्ति के संदेश के साथ सौराष्ट्र में काम किया। इसके अलावा भारती बापू श्री पंच दशनाम पुराने अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीबापू सरखेज में बने भारती आश्रम में एक आयुर्वेदिक औषधालय चला रहे थे और इस संग्रहालय में आने वाले सभी मरीजों का मुफ्त में इलाज किया जाता था। यहीं नहीं उन्हें दवा भी मुफ्त में दी जाती थी। दूसरी ओर भारतीबापू द्वारा एक गुरुकुल भी चलाया जाता था और जिसमें छात्रों को निशुल्क उच्च शिक्षा दी जाती थी।
आपको बता दें कि भारतीबापू का जन्म अहमदाबाद के ढोलका तालुका के अरनेज गाँव में हुआ था और उन्होंने 4 जनवरी, 1965 को दिगम्बर की दीक्षा दी। अपनी दीक्षा के बाद उन्होंने 21 मई, 1971 को अहमदाबाद में भारती आश्रम की स्थापना की। जूनागढ़ में भारती बापू को कब समाधी दी जाएगी इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है। महत्वपूर्ण बात ये है कि महामंडलेश्वर भारतीबापू ने हाल ही में अहमदाबाद में सरकार द्वारा आयोजित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत कोरोना वैक्सीन लिया था और बुजुर्गों को भी वैक्सीन लेने के लिए आमंत्रित किया था। महामंडलेश्वर भारतीबापू 93 साल की उम्र में पंच भूत में विलीन हुये।
गौरतलब है कि 2 अप्रैल को ही भारतीबापू का 93 वां जन्मदिन बहुत ही धूमधाम से मनाया गया था और इस अवसर पर अहमदाबाद के सरखेज आश्रम में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया और इस कार्यक्रम में बापू को भक्तों ने फूल माला पहनाकर उनकी पूजा की थी।