जूनागढ़ : साधु-संतों के मृगी कुंड में स्नान के साथ महाशिवरात्रि पर भवनाथ मेले का समापन, लाखों भक्तों ने लिया लाभ

जूनागढ़ : साधु-संतों के मृगी कुंड में स्नान के साथ महाशिवरात्रि पर भवनाथ मेले का समापन, लाखों भक्तों ने लिया लाभ

जुनगाढ़ में आयोजित हुये भवनाथ के मेले के अंतिम दिन जनसैलाब उमड़ पड़ा था। रात को आयोजित होने वाले दिगंबर साधुओं के करतब देखने के लिए दोपहर से ही लोग कड़ी धूप में बेरिकेड के आसपास बैठ गए। साधु-संतों के मृगी कुंड में स्नान के साथ ही पाँच दिन से चल रहे महाशिवरात्रि के इस मेले का समापन हुआ था।
शिवरात्रि के दिन भगवान महादेव का विशेष शृंगार भी किया गया था। जिसके बाद आसपास के इलाकों में आश्रमों में भांग का प्रसाद दिया गया था। भरी भीड़ के चलते सुबह से ही वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जिसके चलते लोग पैदल ही तलहटी में पहुंचे थे। जहां रवेड़ी देखने के लिए दोपहर से ही लोग बेरिकेड के आसपास जमा हो गए थे और घंटों तक एक ही स्थल पर बैठे रहे थे। 
रात को श्री पंच दशनाम जूना अखाडा से रवेड़ी का प्रारंभ हुआ था। जिसमें भगवान दत्तात्रेय, भगवान गणेश और गायत्रीमाता की पालखी जुड़ी थी। इसके अलावा विभिन्न महामंडलेश्वर और अन्य अखाड़ों के साधु संत और दिगंबर साधु रवेड़ी में जुड़े थे। जिसमें सभी साधुओं ने लाठीदाव, कसरत और तलवार बाजी जैसी कई कलाबाजियाँ दिखाई थी। जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया था। 
अंत में पहले सभी अखाड़ों के आराध्यदेवों को मृगीकुंड में नहलाने के पश्चात साधुसंतों ने मृगीकुंड में स्नान किया और उसके बाद भवनाथ महादेव की महाआरती के साथ ही पाँच दिवसीय मेले का समापन हुआ था।