जामनगर : हार्दिक पटेल के मन को कोई पढ़ नहीं पा रहा; जानिये अब क्या कहा?

जामनगर : हार्दिक पटेल के मन को कोई पढ़ नहीं पा रहा; जानिये अब क्या कहा?

गुजरात में आगामी महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी क्रम में इन दिनों प्रदेश भर में राजनीतिक गहमागहमी जोरों पर है। नेताओं कार्यकर्ताओं का एक दल से दूसरे दल में जाना जारी है। कोई कांग्रेस, भाजपा छोड़कर आम आदमी पार्टी में जुड़ रहा है। तो कोई इन दोनों पार्टियों को छोड़कर भाजपा में। लेकिन प्रदेश में दो चेहरे ऐसे हैं जिनको लेकर चर्चाएं तो बहुत हो रही हैं, लेकिन दोनों के मन को कोई पढ़ नहीं पा रहा। जी हां, यह दो चेहरे हैं गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल और पाटीदार अग्रणी एवं खोडलधाम के अध्यक्ष नरेश पटेल।
पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल खुलकर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के प्रति अपनी नाराजगी प्रकट कर रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के कार्यक्रमों में हिस्सा भी ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कुछ संकेत भी देते रहते हैं जैसे कि उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया है, लेकिन जब सार्वजनिक बयान की बात आती है तो वह ऐसा कुछ नहीं कहते जिससे लगे कि वह आज या कल में वे पार्टी छोड़ देंगे। लोग असमंजस में हैं कि आखिर हार्दिक के मन में क्या चल रहा है।
इसी सप्ताह नरेश पटेल ने जामनगर में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था, जहां वह भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल के साथ सोफे पर बैठे नजर आए थे। उस वक्त ऐसे कयास लगने लगे थे कि अब उनका भाजपा में जाना फाइनल हो गया है। लेकिन कुछ भी स्पष्ट नहीं है। इसी क्रम में शुक्रवार को कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल भी जामनगर गए और उसी श्रीमद् भागवत कथा के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। वहां कई अन्य भाजपा नेता भी मौजूद है। हार्दिक पटेल ने कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद कहा कि उन्होंने दो दिवसीय जामनगर प्रवास पर धार्मिक कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज करवा कर श्रीमद् भागवत कथा में अमृतवाणी का लाभ लिया एवं रात को धार्मिक भजन में आनंद किया। उन्होंने कहा कि धार्मिक भावना को कट्टरता नहीं कहा जा सकता और धर्म की आड़ में किसी का नुकसान भी नहीं किया जा सकता, बस यही हमारा धर्म है। मीडिया से बातचीत करते हुए हार्दिक पटेल ने फिर वही किंतु-परंतु वाली बात कहकर फिर से सब को असमंजस में डाल दिया। हार्दिक पटेल ने कहा कि कांग्रेस से नाराजगी हो तो भी उसका समाधान संभव है। भारतीय जनता पार्टी में उनका शामिल होना एक अफवाह मात्र है। उन्होंने सामने से प्रश्न किया कि यदि पिता की बात बच्चे न सुने तो क्या परिवार से अलग हो जाया जाए?
दूसरी ओर नरेश पटेल जैसे सामाजिक क्षेत्र के बड़े नाम के साथ भी पिछले कुछ महीनों से ऐसा ही कुछ चल रहा है। वे अपने बयानों से इस प्रकार के संकेत दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में वे राजनीति में कदम रख सकते हैं। वैसे तो उन्होंने कहा था कि वह मई महीने के पहले या दूसरे सप्ताह में ऐलान कर देंगे कि वे राजनीति में आ रहे हैं या नहीं। यदि आ रहे हैं तो वह किस राजनीतिक दल को अपनाएंगे। लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह प्रदेश की प्रमुख तीनों पार्टियों भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस और और आम आदमी पार्टी के नेताओं से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मिलते रहे हैं। तीनों ही दलों के नेताओं के साथ मिलने के बाद वह मीडिया में आकर ऐसा कुछ कह जाते हैं कि बात समझ में नहीं आती कि वह आखिर किस पार्टी में जाने का मन बना रहे हैं। देखना होगा कि हार्दिक पटेल और नरेश पटेल अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर आने वाले समय में क्या निर्णय लेते हैं। कुछ नया और बड़ा करेंगे भी या सबकुछ फुस्स हो जयेगा।