अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस : यह महिला पिछले 51 सालों से मात्र चाय पीकर जी रही है जीवन

अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस : यह महिला पिछले 51 सालों से मात्र चाय पीकर जी रही है जीवन

अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर पढ़िये चाय के कुछ अनोखे दीवाने की खास बाते

आम तौर पर सभी को चाय पीने का शौख होता है। दुनिया के अधिकतर लोग दिन की शुरुआत चाय की शानदार चुस्की लेने के साथ ही करते है। चाय पर चर्चा के साथ ही लोग एक दूसरे के सुख दुख की बाते भी साझा करते रहेते है। जब भी किसी का मन भारी हो जाये, सर दर्द हो या कोई अन्य परेशानी; सबका एक ही उपाय है एक कप चाय की चुस्की। ऐसे में आज अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर आज हम एक ऐसी महिला की बात करने जा रहे है जो पिछले 51 सालों से मात्र चाय के सहारे है जिंदा है। 
अहमदाबाद के श्यामल चार रास्ते पर आए प्रसिद्द अपार्टमेंट में रहने वाले 85 वर्षीय पन्नाबेन मेहता पिछले 51 सालों से मात्र चाय पीकर अपना जीवन गुजार रहे है। इस बारे में बात करते हुये पन्नाबेन कहती है की साल 1970 में वह डिप्रेशन में आ गई थी। जिसके बाद उनके आहार लेने की क्षमता कम हो गई थी। जिसके चलते उन्होंने चाय पीना शुरू किया था। इसके बाद उनके शरीर को आहार लेने की इच्छा ही नहीं होती थी। तब से वह चाय पीकर ही अपना जीवन व्यतीत कर रही है। हालांकि उनके घर आने वाले सभी मेहमानों के लिए वह जरूर भोजन बनाती है। 
पन्नाबेन कहती है की वह ब्रिटिश स्टाइल में चाय बनाकर पीती है। जिसमें तपेली के अंदर पानी गरम कर उस पानी में चायपट्टी, दूध और शक्कर डाल कर उसे बनाया जाता है। उन्हें इसी तरह से चाय बनाकर पीना पसंद है। पन्नाबेन कहती है कि जब वह डिप्रेशन में गई थी उस समय भी उनका वजन 60 किलो के आसपास रहता था। आज भी उनका वजन 55 किलो है, इस तरह उनके वजन में कोई ज्यादा फर्क नहीं आया है। जो उनके लिए काफी अच्छी बात है। 
(Photo : IANS)

पन्नाबेन के अलावा राजूभाई ओझा को चाय पीना काफी पसंद है। राजुभाई कहते है कि वह पिछले 20 साल से नियमित रूप से ढाई लीटर दूध पीती है। उनके परिवार के चार सदस्य रोज एक लीटर से अधिक चाय पीते है। वह खास तौर पर चाइना और तुर्की से चाय कि पट्टी मँगवाते है। जिसके 1 किलो कि कीमत 1200 रुपए होती है। उन्हें शक्कर और दूध कम हो ऐसी चाय पीना काफी ज्यादा पसंद है। इसके अलावा अहमदाबाद के पालड़ी इलाके में रहने वाली एक महिला का कहना है कि उसके स्कूल के समय के 8 महिलाओं का ग्रुप नियमित रूप से शहर के विभिन्न केफे में चाय पीने जाते है। वह सभी साथ में बैठकर चाय पीते-पीते एक दूसरे से सुख दुख की बाते करते है। 
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