आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर चलते हुए चीनी निवेश से किनारा कर रहे भारतीय स्टार्टअप

आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर चलते हुए चीनी निवेश से किनारा कर रहे भारतीय स्टार्टअप

2020 की पहली छमाही में 26.3 करोड़ डॉलर तक गिरा चीनी निवेश

नई दिल्ली, 31 मार्च (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने के आह्वान का समर्थन करते हुए, भारतीय तकनीकी स्टार्टअप्स ने अब चीनी निवेश से किनारा कर लिया है और भारतीय कॉर्पोरेट और धनी व्यक्ति अन्य देशों के निवेशकों के साथ देसी कंपनियों को पहले से कहीं अधिक फंड कर रहे हैं।
2019 में चीनी निवेशकों ने भारत में 3.9 अरब डॉलर का निवेश किया था, जिसमें 2018 के 2 अरब डॉलर के निवेश से काफी वृद्धि देखी गई थी। हालांकि यह निवेश परिदृश्य अब बदल गया है। खासतौर पर पिछले साल मई से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़पों के बीच इसमें एक बदलाव आया है।
भारत ने पिछले साल अवसरवादी अधिग्रहण को रोकने के लिए एक नई नीति शुरू की, जिसके तहत पड़ोसी देशों से सभी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर सरकार द्वारा सीधे अनुमोदन की जरूरत है। परिणामस्वरूप, भारतीय कंपनियों में चीन का निवेश 2020 की पहली छमाही में 15 सौदों के दौरान 26.3 करोड़ डॉलर तक गिर गया।
नैसकॉम-जिनोव की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय टेक स्टार्टअप बेस में 1,600 से अधिक टेक स्टार्टअप्स के साथ 8-10 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) के पैमाने पर स्थिर वृद्धि देखी गई है और 2020 में 12 अतिरिक्त यूनिकॉर्न की रिकॉर्ड संख्या दर्ज की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि एक कैलेंडर वर्ष में यह संख्या अभी तक अधिकतम रही है।
माहौल को भांपते हुए, देश के भीतर निवेश के लिए स्वदेशी तकनीकी स्टार्टअप्स ने अपनी तलाश शुरू कर दी है और वह इसमें काफी हद तक सफल भी हुए हैं। भारत के माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू की पेरेंट कंपनी में अब चाइनीज कंपनी की हिस्सेदारी नहीं है। कू और ज्ञान आधारित ऐप वोकल की मूल कंपनी बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज के मौजूदा निवेशकों और कुछ भारतीयों ने मार्च के मध्य में इस कंपनी में चीन स्थित शुनवेई कैपिटल की अल्पांश हिस्सेदारी को खरीद लिया है।
शुनवेई कैपिटल की हिस्सेदारी खरीदने वालों में पूर्व भारतीय क्रिकेटर जवागल श्रीनाथ, बुकमाईशो के संस्थापक आशीष हेमराजानी, उड़ान के सह-संस्थापक सुजीत कुमार, फ्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति और जेरोधा के संस्थापक निखिल कामत शामिल हैं। शुनवेई कैपिटल के पास बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज में नौ फीसदी से अधिक हिस्सेदारी थी।
इस पर श्रीनाथ ने कहा, "बात यह है कि वे इंटरनेट पर भारतीय भाषा के यूजर्स की आवाज को लाने के लिए एक प्लेटफॉर्म बना रहे हैं, जो सराहनीय है और एक भारतीय के रूप में मैं उन्हें अपना समर्थन पूरे दिल से देता हूं।" कू, जो खुद को भारत और दुनिया के लिए एक आत्मनिर्भर एप के रूप में रखता है, उसके 40 लाख से अधिक यूजर्स हो चुके हैं। इससे पहले कंपनी को चीनी फंडिंग के लिए आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा था।
माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म अपनी सफलता को लेकर उत्साहित है और कंपनी ने कहा है कि उसने एक आत्मनिर्भर ऐप बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोगुना कर दिया है। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार और ट्विटर के बीच तनातनी के बाद कू काफी चर्चा में रहा है। कई बड़ी राजनैतिक और अन्य भारतीय हस्तियों ने भी कू का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

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