जम्मू कश्मीर सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय, बंद होगी 150 साल पुरानी यह प्रथा

जम्मू कश्मीर सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय, बंद होगी 150 साल पुरानी यह प्रथा

हर साल बचेंगे 200 करोड़ से भी अधिक की राशि, महाराज गुलाबसिंह ने शुरू करवाई थी प्रथा

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू और कश्मीर के बारे में एक बात तो आप सभी को पता ही होगी। राज्य में गर्मी और सर्दी दोनों समय के लिए अलग-अलग राजधानी है। जिसके चलते हर साल जम्मू कश्मीर में 'दरबार मूव' की प्रथा चली आ रही थी। जिसके अंतर्गत राजधानी का वहीवट 6 महीने श्रीनगर से तो 6 महीने जम्मू से किया जाता था। हालांकि इस दौरान दरबार मूव की इस प्रथा में हर साल करोड़ों का खर्च होता था। 
दरअसल जम्मू कश्मीर में हवामान के बदलाव के साथ हर छ महीने में हवामान के बदलाव के साथ राजधानी बदली जाती है। इस प्रक्रिया को 'दरबार मूव' की प्रक्रिया कहते है। साल 1862 में डोगरा शासक गुलाबसिंह द्वारा यह प्रथा शुरू की गई थी। इसका कारण यह था की श्रीनगर में ठंडी के मौसम में कातिलाना ठंडी पड़ती है, जबकि गर्मी के मौसम में श्रीनगर में जम्मू की गर्मी अधिक होती है। जिसके चलते महाराज ने गर्मी के दिनों में श्रीनगर और ठंडी के दिनों में जम्मू को राजधानी बनाने का निर्णय लिया। जो आज भी चालू है। 
हालांकि यह सारी प्रक्रिया काफी खर्चीली है। एक बार के दरबार मूव में सरकार को लगभग 110 करोड़ का खर्च आता है। इसके अलावा यह प्रक्रिया है भी काफी जटिल, सालों से इस प्रक्रिया के खिलाफ विरोध भी होते रहे है। जिसके चलते सालों जम्मू कश्मीर के लेफ्टन्ंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने 20 जून को कहा की सरकारी कचहरियों में तंत्र द्वारा ई-ऑफिस का काम पूर्ण हो चुका है, इसलिए अब से साल में दो बार होने वाली 'दरबार मूव' इकी प्रथा को चालू रखने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा इस प्रथा के अंतर्गत अधिकारियों को आवंटित किए गए निवास स्थानों को भी तीन सप्ताह के अंदर खाली करने के निर्देश दिये गए है।