कोई बेटी प्रेम विवाह कर ले तो उसे पिता की सम्पत्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता!

कोई बेटी प्रेम विवाह कर ले तो उसे पिता की सम्पत्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता!

गुजरात हाईकोर्ट ने दिया महिला के संपत्ति पर सुरक्षा के अधिकार मामले में महत्वपूर्ण बयान

गुजरात हाईकोर्ट द्वारा एक केस का निर्णय सुनाते हुये एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। जिसके अनुसार, किसी भी युवती से उसके पिता की संपत्ति का अधिकार हासिल करने से मात्र इसलिए नहीं रोका जा सकता क्योंकि उसने प्रेमविवाह कर लिया है। ऐसे एक केस का निर्णय सुनाते हुये कोर्ट ने स्वर्गस्थ पिता की संपत्ति में से पुत्री के अधिकार की संपत्ति तत्कालीन प्रभाव से उसे देने का हुकम जारी किया था। 
हाईकोर्ट द्वारा महिलाओं के संपत्ति पर अधिकार को रक्षित करने के लिए इस निर्णय को सही ठहराते हुये कहा कि यदि महिला को ऐसा अधिकार ना मिला तो वह अपने जीवनसाथी को चुनने के अपने संवैधानिक हक का कोई इस्तेमाल नहीं कर पाएगी। कोर्ट ने स्थानीय पुलिस और कानूनी सेवा प्राधिकरण को जल्द ही उसके पिता की संपत्ति में से युवती के हक के दो घर, एक दुकान और एक कृषि क्षेत्र को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू करने का आदेश दिया था।
मामला साबरकांठा के प्रांतिज इलाके का है, जहां रहने वाली 24 वर्षीय महिला ने चार महीने पहले दिसंबर 2021 में अपने पिता को खो दिया। इसके बाद युवती ने परिवार की मर्जी के खिलाफ अपने गाँव के ही एक युवक से शादी कर ली। हालांकि शादी के बाद भी युवती के चाचा उसे अपने साथ वापिस ले आए और युवती के पति की काफी पिटाई भी की। इसके चलते पति ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज कर दिया। केस दर्ज करने के बाद कोर्ट के निर्देश पर परिवार वालों ने युवती को कोर्ट में पेश किया। 
कोर्ट में युवती ने बयान दिया कि उसकी माँ कुछ सालों पहले ही चल बसी थी, जबकि उसके पिता की पिछले साल दिसंबर में मौत हो गई थी। युवती गाँव के एक युवक से प्यार करती थी और उसी से शादी करना चाहती थी। हालांकि उसके परिवार वालों को यह मंजूर नहीं था। दोनों के प्रेमविवाह का हवाला देकर उसके रिश्तेदारों ने युवती को जायदाद से बेदखल कर दिया। इस पर कोर्ट ने युवती के पक्ष में फैसला सुनाते हुये न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी और न्यायमूर्ति मौना भट्ट की पीठ ने कहा की संपत्ति के मामले में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। उनका प्रेम विवाह कभी भी उनके अच्छे जीवन से वंचित करने का कारण नहीं बनना चाहिए।
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