युद्ध के माहौल के बीच सैकड़ों छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने युक्रेन पहुंचे

युद्ध के माहौल के बीच सैकड़ों छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने युक्रेन पहुंचे

भविष्य की चिंता के साथ विपरीत परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं भारतीय छात्र

कुछ महीने पहले भारत सरकार ने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बीच ऑपरेशन गंगा मेगा मिशन की शुरुआत करते हुए हजारों भारतीय छात्रों को यूक्रेन से भारत वापस लाया था। रूस के यूक्रेन पर हमले के साथ ही पैदा हुए युद्ध के माहौल के बीच मेडिकल की पढाई करने युक्रेन गये भारत के 20,000 से अधिक छात्रों को युद्ध के कारण यूक्रेन छोड़ना पड़ा। ये छात्र विभिन्न यूरोपीय देशों के माध्यम से भारत पहुंचे। लेकिन उनके मन में एक सवाल था कि भारत पहुंचने पर उनके भविष्य और मेडिकल की पढ़ाई का क्या होगा।
 

भारत में अपने भविष्य को लेकर चिंतित छात्र

 
डॉक्टर बनने की उम्मीद में इन छात्रों ने महीनों इंतजार किया और भारत सरकार से संपर्क किया। सियासी गलियारों में सड़कों से लेकर संसद तक चर्चा हो रही थी कि इन छात्रों का भविष्य अधर में न लटके. लेकिन जब उन्हें कहीं से भी भारतीय मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरण और प्रवेश मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी, तो अब ये छात्र वापस यूक्रेन लौटने लगे।
 
 
इस बारे में गोरखपुर निवासी डॉ मोहन और यूक्रेन के विनित्सा मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे गया के निवासी डॉ रवि कुमार कहते हैं कि हमने महीनों इंतजार किया लेकिन भारत सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली कि हमारा अध्ययन कैसे आगे बढ़ेगा। साथ ही नेशनल मेडिकल काउंसिल हमें आगे ट्रांसफर या एडमिशन नहीं देना चाहती थी। सबसे बड़ी बात कि हमारे पास भारतीय निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने के लिए पैसे नहीं हैं क्योंकि हम गरीब परिवार से आते हैं। डॉ मोहन कहते हैं कि आज भी विश्वविद्यालय के बाहर अक्सर खतरे के सायरन बजते हैं और स्थिति के कारण खाना महंगा हो गया है लेकिन हम यहां भविष्य की चिंता के कारण हैं।
 

1500 जितने छात्र वापस युक्रेन आये

 

डॉक्टर रवि का कहना है कि अकेले विन्नित्सिया में 300 से अधिक छात्र आए हैं, और अगर यह संख्या यूक्रेन के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के साथ जोड़ दी जाए, तो यह लगभग 1500 हो जाती है। इन दोनों छात्रों का अनुमान है कि करीब 1500 भारतीय छात्र यूक्रेन लौट आए हैं और विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं। डॉ मोहन का कहना है कि उनके पास यूक्रेन का वीजा था इसलिए वे मोल्दोवा से ट्रांजिट वीजा के साथ यूक्रेन पहुंचे और अब उनकी कक्षाओं में भाग ले रहे हैं।
 

परिवार वाले परेशान

 
साथ ही परिवार के लोग भी परेशान हैं, स्थिति खराब है लेकिन अगर हम ऐसा करते हैं तो भविष्य का सवाल है? इस बीच, यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने सभी भारतीयों को एक एडवाइजरी जारी कर स्थिति को देखते हुए उन्हें जल्द से जल्द यूक्रेन छोड़ने को कहा है। इन दोनों छात्रों ने कहा है कि अब वे किसी भी परिस्थिति में भारत नहीं लौटेंगे जब तक कि उनके पास डॉक्टर की डिग्री न हो या भारत सरकार कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाती।