सुख का राजमार्ग - अणुव्रत

सुख का राजमार्ग - अणुव्रत

भारतीय संस्कृति अद्ययात्मय प्रधान संस्कृति है। समय समय पर अनके ऋषि महर्षियों ने यहाँ तप व त्यांग की गंगा बहाही है। उन्ही महापुरुषों में एक नाम है - आचार्य तुलसी । आप तेरापंथ धर्मसंघ के नवम आचार्य थे । कांतिकारी आचार्य श्री तुलसी ने युगानुरूप जनता का पथदर्शन किया । भारत देश की आजादी के तत्काल बाद उन्होंने 'अणुव्रत आंदोलन' का सूत्रपात किया । आर्चाय तुलसी और अणुव्रत, अणुव्रत और आचार्य तुलसी एक दूसरे के पर्याय हैं ।
A N U V R A T - अंग्रेजी में इन सात वर्णो का रहस्य इस प्रकार है - 
1. A - Ahimsa - अहिंसा 
2. N - Not Attachment - अनासक्ति
3. U - Unity of Man Kind - मानवीय एकता 
4. V - Vegetarianism - शाकाहार 
5. R - Restaint - संयम
6. A - Accessible to All - सर्वत्र पहुंच 
7. T - Truthfullness - सत्य 
अहिंसा- अंहिसा अणुव्रत की आत्मा है । भगवान महावीर ने अहिंसा को परमो धर्म कहा है । अणुव्रत कहता है - आत्माहत्या ना करना, हरे भरे वर्क्ष ना काटना, पानी बिजली का अपव्यय ना करना, तोड़फोड़ मूलक प्रवूत्तियों में भाग ना लेना । हिंसा उद्योगपति का तथा शत्रुता की कारण है । 
अनासक्ति- आसक्ति कूरता की ओर ले जाती है। अनासक्त चेतना के निर्माण में सहयोगी है। इस दृष्टि से अणुव्रत के नियम है - बृह्मचर्य की साधना करनी, संग्रह की सीमा की निर्धारण करना, सुखी बनने की सूत्र है - आसक्ति को कम करना ।
मानवीय एकता- एकता सूर्य, सरोवर व व्रक्ष के समान है , जो अपने वैभव सबके लिए बाटते है।  एक के आगे शून्य लगाने से उसकी ताक़त बढ़ जाती है । अणुव्रती जाती, रंग के आधार पर किसी को ऊँच नीच नही मानता, अस्पृश्य  नही मानता, धार्मिक सहिष्णुता रखता है । 
शाकाहार- मनुष्य फल खाने वालों का वशंज है। मांसाहार सभी दृष्टि से हेय है। शारिरिक दृष्टि से मोटापा, कोलोस्ट्रोल वॄद्धि, HBP आदि अनेक रोगों का कारण मांसाहार है। मानसिक दुष्टि से मांसाहार चीड़चीडा, कोधी, मंदबुद्धि, अल्पायु व विकारी होत्ते है। इस दृष्टि से अणुव्रत का संदेश है - व्यसन मुक्त जीवन जीना । 
संयमसंयम गिरते हुए नैतिक स्तर को ऊँचा उठाने वाला है। संयम से व्यक्ति सफल बनता है ।प्रकुति का कण कण संयम की प्रेरणा देता है । अतिवृष्टि के कारण प्राणदायी जल भी पाण ले लेता है। भोग का असंयम रोग पैदा करता है। अणुव्रत के हर नियम में संयम ही अनुगूंज है। 
सर्वत्र पहुंच- अणुव्रत का पथ सुगम है । विश्व मे अरबों मनुष्य है । बच्चे, युवा व वर्द्ध भी है। वेपारि, डॉक्टर, वकील, इंजीनियर भी है । राजनेता व कर्मचारी भी है। सबका शरीरबल, मनोबल, रुचि, स्वभाव, समय व सामर्थ्य समान नहीं होता । इन सब अनेकता के बावजूद भी कोई भी धर्मावलंबि अणुव्रती बन सकता है। अणुव्रती अर्थात अच्छा इंसान । 
सत्य- सत्य भगवान है। सत्य मंजिल है । मनमंदिर में विराजित प्रभु से मिलन का प्रवेश द्वार है - सत्य । 
सत्य के बिना शेष स्वीकृत नियम भी अस्तिवहीन हो जाता है। अमीरी चांदी के टुकड़ों में नहीं, सत्य की चांदनी में है । धार्मिक बनने से पहले नैतिक बनना अनिवार्य है। अणुव्रती व्यवसाय व   व्यवहार में नैतिकता का अभ्यास करता है। 
ANUVRAT में सात अक्षर से सूखी जीवन का मंत्र है। आचार्य श्री तुलसी की 25 वे महाप्रयाण दिवस पर आप अणुव्रत को जीवन मे उत्तार कर उस महात्मा की सच्ची श्रद्धांजलि भेंट करे । 
डॉ. समणी ज्योतिप्रज्ञा
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