गुजरात : देश के लिए जीने और मरने की प्रेरणा देती है आदिवासियों की राष्ट्रभक्ति और आजादी की जंग में उनके योगदान की शौर्य गाथा : मुख्यमंत्री

गुजरात  : देश के लिए जीने और मरने की प्रेरणा देती है आदिवासियों की राष्ट्रभक्ति और आजादी की जंग में उनके योगदान की शौर्य गाथा : मुख्यमंत्री

साबरकांठा के ऐतिहासिक पाल-दढवाव आदिवासी हत्याकांड के स्मृति शताब्दी कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सहभागी बने मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल

7 मार्च, 1922 को हुए पाल-दढवाव हत्याकांड में अंग्रेजों की गोलीबारी से शहीद हुए 1200 से अधिक वनबंधुओं को दी गई श्रद्धांजली
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि अंग्रेजों के जुल्मी शासन के खिलाफ अपने प्राण न्योछावर करने वाले आदिवासियों की राष्ट्रभक्ति, वतन प्रेम और शौर्य गाथा हमें सदैव ‘देश के लिए जीने और देश के लिए मरने’ की प्रेरणा देती है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि लगान में मनमाने ढंग से बढ़ोतरी के जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए 7 मार्च, 1922 को पाल-दढवाव गांव में एकत्रित हुए 1200 आदिवासी बंधुओं पर अंग्रेजों ने गोलियां बरसाकर उन्हें छलनी कर दिया था। 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी अधिक क्रूर यह हत्याकांड गुजरात के साबरकांठा जिले के पाल-दढवाव में हुआ था। इस भीषण रक्तपात को इतिहास में शहीद स्मृति दिवस के तौर पर अमर बनाए रखने के लिए 7 मार्च, 2022 को पाल-दढवाव में शहीद शताब्दी दिन के रूप में मनाया गया। 
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को गांधीनगर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस स्मृति दिवस कार्यक्रम में शिरकत कर वनवासी शहीदों को भावांजलि दी। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि इन 1200 वनवासी शहीद वीरों की स्मृति को चिरंजीव रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में अपने मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान वर्ष 2003 में 1200 पौधे लगाकर शहीद स्मृति वन स्थापित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह शहीद स्मृति वन उन आदिवासी शहीदों को यथोचित श्रद्धांजलि है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम की ऐसी भुला दी गई घटना और आजादी की जंग के उन गुमनाम नायकों को जनमानस में उजागर करने के लिए इस वर्ष प्रधानमंत्री की प्रेरणा से ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष नई दिल्ली में आयोजित हुए गणतंत्र दिवस समारोह की परेड में गुजरात की इस ऐतिहासिक वनवासी शहीद गाथा को देश के समक्ष प्रस्तुत करने वाली झांकी भी प्रदर्शित की गई थी। मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम और उससे पूर्व की क्रांति दोनों में मोतीलाल तेजावत और गोविंद गुरु जैसे क्रांतिवीरों के नेतृत्व में आदिवासियों द्वारा दिए गए योगदान को राष्ट्रभक्ति की बेहतरीन मिसाल करार दिया। उन्होंने वनवासियों के ऐसे शौर्य, बलिदान और योगदान को युगों-युगों तक जीवंत रखने के साथ वनबंधुओं के सर्वग्राही विकास को तेजी देने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की। 
इस अवसर पर आदिजाति कल्याण मंत्री नरेशभाई पटेल, राज्य मंत्री विनोदभाई मोरड़िया तथा आदिजाति विकास विभाग के सचिव डॉ. मुरली कृष्णा गांधीनगर से सहभागी बने। पाल-दढवाव में कार्यक्रम स्थल पर शिक्षा राज्य मंत्री कुबेरभाई डिंडोर, सांसद दीपसिंह जी और श्रीमती रमीलाबेन बारा सहित जिले के पदाधिकारी, अधिकारी एवं आदिवासी बंधु उपस्थित थे।