गुजरात : आज विश्व एड्स दिवस, जानिए क्या है राज्य में एचआईवी संक्रमित मरीजों की स्थिति

गुजरात : आज विश्व एड्स दिवस, जानिए क्या है राज्य में एचआईवी संक्रमित मरीजों की स्थिति

एचआईवी एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 1987 से 1 दिसंबर को मानते है विश्व एड्स दिवस

आज दिसंबर के पहला दिन है। आज 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाते हैं। कैंसर, टीबी, हृदय रोग की तरह एचआईवी एड्स भी एक जानलेवा बीमारी है। दुनिया भर में अब तक करीब छह लाख लोगों की मौत इसी बीमारी के कारण हो चुकी है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र ने एचआईवी एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 1987 से 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया, जिसे सभी देशों ने स्वीकार किया है।

राज्य में ये है एचआईवी मरीजों की स्थिति


आपको बता दें कि चिकित्सा विज्ञान में दिन-ब-दिन प्रगति ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। देशभर में अन्य राज्यों के साथ साथ गुजरात राज्य में भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिल रहा है। 1995 से 2005 तक, राज्य में हर साल औसतन 4,000 से 5,000 एचआईवी रोगी पंजीकृत किए गए थे। जो 2006 से 2021 तक औसतन हर साल घटकर 2500 से 3000 नए मरीज हो गए। राज्य में एचआईवी के नए मामलों में 35 फीसदी की कमी आई है। एचआईवी के संचरण को कम करने में साक्षरता में वृद्धि, रूढ़िवादी विचारधारा में बदलाव जैसे कारक मदद करते हैं। इसके अलावा सिर्फ संक्रमण ही नहीं, चिकित्सा उपचार में हुए शोधों से एड्स, कैंसर, टीबी जैसी बीमारियों के इलाज में सुधार हुआ है। नतीजतन, 2010 से 2021 की अवधि में राज्य में एड्स से मरने वालों की संख्या में 50 से 51 प्रतिशत की कमी आई है।

हर साल दर्ज होते है औसतन पांच सौ नए मरीज


आंकड़ों के आधार पर देखने जाए तो प्रदेश में इस समय एचआईवी के कुल 1.14 लाख मरीज हैं। वर्ष 2021 में प्रदेश में एचआईवी के कुल 2507 नए मरीज पंजीकृत हुए। इस तरह वर्तमान में राज्य में कुल मरीजों की संख्या 1,13,532 है, जिनमें से वर्ष 2021 में 810 लोगों की मौत एड्स के कारण हुई। 2019 के आंकड़ों के मुताबिक अहमदाबाद शहर में मरीजों के 480 नए मामले सामने आए। यानी शहर में हर साल औसतन पांच सौ नए मरीज दर्ज होते हैं। शहर में एचआईवी के कुल 14,435 मरीज हैं।

गर्भावस्था के दौरान एचआईवी के संक्रमण से बच्चे को बचाया जा सकता है


गौरतलब है कि आमतौर पर समाज में यह धारणा है कि एचआईवी संक्रमित महिला बच्चे को जन्म नहीं दे सकती, लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में महिला का एचआईवी टेस्ट कराया जाता है और अगर वह संक्रमित पाई जाती है तो एचआईवी का इलाज तुरंत शुरू कर दिया जाता है। ऐसे में ज्यादातर मामलों में मां से बच्चे को होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है। इस प्रकार, यदि महिलाएं गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के तीन महीने के दौरान एचआईवी परीक्षण कराती हैं, तो बच्चों में एचआईवी संक्रमण को रोका जा सकता है।

संक्रमित रक्त से भी हो सकता है एचआईवी


इसके अलावा संक्रमित खून भी एचआईवी संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार होता है। किसी व्यक्ति के संक्रमित हो जाने की संभावना बढ़ जाती है जब ऑपरेशन या प्रसूति के दौरान संक्रमित रक्त चढ़ा दिया गया हो। ध्यान देने योग्य बात ये है कि एचआईवी तत्काल मृत्यु का कारण नहीं बनता है। ऐसे में समय पर दवा और उपचार लेने और अपने शरीर की देखभाल करने पर व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। lहालांकि लंबे समय में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से उनके अंग प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन चिकित्सा विज्ञान में हर दिन नए-नए शोध हो रहे हैं और इस बीमारी को कम गंभीर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

एचआईवी में भी होते हैं स्टेज


गौरतलब है कि कैंसर के चरण होते हैं, वैसे ही एचआईवी भी होता है। प्रारंभिक चरण के संक्रमण को एचआईवी के रूप में जाना जाता है, जबकि अंतिम चरण के संक्रमण को एड्स के रूप में जाना जाता है। इन दोनों चरणों के बीच की अवधि सामान्यतः आठ से दस वर्ष मानी जाती है।