बायो-मेडिकल वेस्ट के मामले में गुजरात देशभर में तीसरे स्थान पर

बायो-मेडिकल वेस्ट के मामले में गुजरात देशभर में तीसरे स्थान पर

कोरोना के 13 महीनों में गुजरात ने पैदा किया 5,000 टन बायोमेडिकल कचरा

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के कारण गुजरात ने 13 महीनों में 5,004.9 टन जैव-चिकित्सा अपशिष्ट का उत्पादन किया है। इसी के साथ गुजरात का नाम प्रमुख बायो-चिकित्सा अपशिष्ट उत्पादक राज्यों में तीसरे स्थान पर है। सबसे पहले स्थान पर 8317 टन अपशिष्ट का उत्पादन करने वाला राज्य महाराष्ट्र और फिर केरल 4.5 टन के साथ जैव-चिकित्सा अपशिष्ट का दूसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है। ये आंकड़े जून 2020 से जून 2021 तक कुल 13 महीने के हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि गुजरात में बायो-मेडिकल वेस्ट कोरोना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में दोगुना हो गया है। जब कोरोना अपने चरम पर था, तब अकेले अहमदाबाद शहर से प्रतिदिन 10,000 किलो बायो-मेडिकल कचरा निकाला जाता था। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि कचरे के निपटान के लिए उचित योजना की आवश्यकता है, क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान श्मशानों और कब्रिस्तानों में कोविड के पीपीई किट के इधर उधर लापरवाही से पड़े पाए जाने के कई मामले सामने आए थे।
आपको बता दें कि कोरोना बायोमेडिकल वेस्ट को दो तरह से डिस्पोज किया जाता है, ऑटोग्लेयर और इंसीनरेशन। ऑटोग्लेयर में प्लास्टिक, रबर आदि के छोटे-छोटे टुकड़े रिसाइकल करने वालों को दिए जाते हैं, जबकि दूसरे प्रकार में मेडिकल वेस्ट को एक हजार डिग्री के तापमान पर जला दिया जाता है। कोविड कचरे को जलाने के बाद राख को डंपिंग यार्ड में भेजा जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के मरीज जो घर में आइसोलेटेड हैं, अगर उनके मेडिकल कचरे को घरेलू कचरे में मिला दिया जाए तो घरवालों को खतरा हो सकता है।

देश में बायो मेडिकल वेस्ट पैदा करने वाले शीर्ष के पांच राज्य

राज्य          वेस्ट(टन)
 महाराष्ट्र      8317.0
 केरल         6422.2
 गुजरात     5004.9
 तमिलनाडु 4835.9
 दिल्ली       3995.3