गुजरात : कोरोना काल में नहीं हुआ था, अब 13 मार्च को फिर सजेगा डांग दरबार

गुजरात : कोरोना काल में नहीं हुआ था, अब 13 मार्च को फिर सजेगा डांग दरबार

गुजरात के वन क्षेत्र डांग में पारंपरिक रूप से वहां के राजवी परिवारों को साल में एक बार पॉलिटिकल पेंशन यानी कि राजनीतिक सालियाना दिया जाता रहा है। वर्ष में एक बार इस मौके पर औपचारिक रूप से डांग दरबार सजता है। पिछले वर्ष कोरोना के कारण यह आयोजन स्थगित रहा। लेकिन अब जबकि कोरोना को लोग भूलने लगे हैं और कोविड-19 के मामले भी कम हो गए हैं l, डांग प्रशासन ने इस बार डांग दरबार सजाने की तैयारी कर ली है। यह आयोजन 13 मार्च से 4 दिनों के लिए किया जाएगा।
डांग के राजवी परिवार का सम्मान करने के उपरांत आम जनमानस में भी क्षेत्र की लोक संस्कृति को उजागर करने वाले डांग दरबार का आतुरता से इंतजार रहता है। इस मौके पर बाकायदा एक मेला लगता है जिसमें देश के विभिन्न आदिवासी नृत्य और संस्कृति की झांकियां प्रस्तुत की जाती है। स्वयं गुजरात के राज्यपाल डांग आकर भील राजाओं का सम्मान करते हैं और उनके कर कमलों द्वारा सालियाना के रूप में चेक अर्पण किया जाता है।
आपको बता दें की डांग के राजाओं ने अपनी करोड़ों की संपत्ति समान अनमोल जंगल सरकार को सौंप दिए थे। बावजूद इसके उन्होंने वन क्षेत्र की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरती। इसी के कारण उन्हें सम्मान स्वरूप सालियाना दिया जाता है। इसकी राशि कोई अधिक नहीं होती लेकिन इसमें उनके प्रति सरकार और स्थानीय लोगों का प्रेम झलकता है। वास्तविक रूप से देखें तो इन राजाओं की वर्तमान स्थिति किसी गरीब प्रजा से भी बदतर बन चुकी है। 4 दिनों तक चलने वाले इस डांग दरबार के चौथे दिन राज्यों को उनका चेक राज्यपाल के हाथों समर्पित किया जाता है। 
स्थानीय लोगों के लिए राज परिवारों के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के उपरांत यह डांग दरबार एक मनोरंजन का माध्यम भी है। हर उम्र के लोगों को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। दक्षिण गुजरात के शहरों के लोग बाकायदा इस डांग दरबार को पर्यटन का एक हिस्सा मानते हैं और परिवार के साथ डांग जाकर एक-दो रात गुजारते हैं और इस मेले में शरीक होते हैं।