सूती धागे के निर्यात पर अंकुश लगाए सरकार : एईपीसी

सूती धागे के निर्यात पर अंकुश लगाए सरकार : एईपीसी

सूती धागों की बढ़ती कीमतों ने बंद करवाएँ कई हथकरघा उद्योग

नई दिल्ली, 27 मार्च (आईएएनएस)| परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) ने भारत से सूती धागे के निर्यात पर अंकुश लगाने के साथ ही निर्यात शुल्क लगाने की मांग की है। केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी को लिखे एक पत्र में एईपीसी के चेयरमैन ए. शक्तिवेल ने कहा कि सरकार की ओर से कई प्रयासों के बावजूद सूती धागे के दाम पिछले चार महीने के दौरान लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे पूरी मूल्य श्रृंखला प्रभावित हो रही है।
शक्तिवेल ने कहा, "हम घरेलू विनिर्माताओं को धागे की आपूर्ति बढ़ाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह करते हैं। हमारा सुझाव है कि सूती धागे के निर्यात पर मात्रात्मक अंकुश लगाया जाए।" उन्होंने अपने पत्र में कहा कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने छोटे मिल मालिकों के लिए कपास की कीमतों में कटौती की है, लेकिन इससे सूती धागे के दाम कम नहीं हुए हैं।
घरेलू उद्योगों पर पड़ा है बुरा असर
उन्होंने कहा कि सूती धागे की कीमतों में बढ़ोतरी तथा इसकी उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता की वजह से निर्यातकों के लिए अपने ग्राहकों के ऑर्डर पूरा करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि इसने हथकरघा और पावरलूम बुनकरों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे करघा उत्पादन बंद भी हो गया है। उन्होंने कहा कि इसके कारण घरेलू उद्योगों पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है।
उन्होंने सुझाव दिया कि सूती धागे के निर्यात पर निर्यात शुल्क लगाया जाना चाहिए। इसके परिणामस्वरूप घरेलू धागे की कीमतों में तेज गिरावट और देश में मूल्यवर्धन और रोजगार में वृद्धि होगी और परिधान निर्यात बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

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