फादर्स डे स्पेशल : "पिता हमारे आधार स्तंभ"

फादर्स डे स्पेशल :

आज पितृ दिवस (फादर्स डे) पर चर्चा चल रही है तो कुछ अपने विचार अभिव्यक्त कर रही हूं। हालांकि मेरे विचार से पिता के लिए कोई एक दिन नहीं होता, पिता से ही सब दिन होते हैं, क्योंकि हमें सृष्टि में लाने का मुख्य आधार हमारे पिता ही होते हैं। इसलिए जितना सम्मान, जितना आदर हम उनका कर सकें, उतना ही कम है।     हमारा नैतिक, सामाजिक, पारिवारिक दायित्व बनता है कि हम उन्हें श्रद्धा के शीर्ष सोपान पर स्थापित करें। सही मायने में उस दिन हम पितृ दिवस मना पाएंगे, जिस दिन हमारे देश से वृद्धाश्रम नाम का अभिशाप, वृद्धाश्रम नाम का यह कलंक खत्म हो जाएगा।
इस लेख के माध्यम से मैं आप सब तक यह विनम्र अनुरोध पहुंचाना चाहती हूं कि माता-पिता मात्र मनुष्य नहीं है। बल्कि वे हमारे लिए साक्षात ईश्वर है। तो आइए हम भी अपने घर में माता-पिता रूपी देवताओं का पूजन करें। अपने भाव-पुष्प और कर-सेवा के द्वारा उनकी पूजा करें तो सही मायने में यह पितृ दिवस (फादर्स डे )मना पाएंगे और अपनी संस्कृति को स्थापित कर पाएंगे। हमारी संस्कृति  मातृ देवो भव, पितृ देवो भव का आदर्श स्थापित करती है और उसका पालन भी करती है। प्रश्न उठता है यह वाक्य क्यों दोहराया गया है ?
हमारे ऋषि-मुनियों ने हमारे वेद-शास्त्रों ने कोई भी वाक्य उच्चारित किया है तो बहुत मनो-मंथन के बाद, बहुत शोध के बाद किया है। उनकी हर बात के पीछे गूढ़ तर्क, गहन अध्ययन, गहरा विज्ञान छुपा हुआ है। यह मनुष्य जीवन जो सृष्टि का सिरमौर कहा गया है। हमें इस मनुष्य जन्म में लाने का माध्यम यदि कोई है, तो वह है हमारे माता-पिता।  
सुमन लता शर्मा (कवयित्री एवं लेखिका)
क्योंकि आज हम केवल पिता पर ही बात करने वाले हैं इसलिए मैं यही कहूंगी कि यदि प्यारी मां उर्वरा शस्य-श्यामला धरती है तो पिता असीम आकाश है जिस तरह धरती का प्यार दिखाई देता है। हम सब महसूस करते हैं की धरती हमें क्या-क्या देती है ? धरती के बिना हमारा जीवन संभव नहीं, परंतु क्या कभी विचार किया है कि यह जो नीलांबर है यही है जिसने खंड-ब्रम्हांड से आने वाली ग्रहों-उपग्रहों से आने वाली भीषण गर्मी, जहरीली गैसों को अपने तक रोककर और सूर्य, चंद्र, तारे इन सब को अपने अंदर समेट कर प्रकृति की इतनी सुंदर व्यवस्था को सुचारू क्रम देकर हम सबको जीवन प्रदान कर रखा है ।अनायास हमारा ध्यान उस तरफ नहीं जाता।
बस वैसा ही है पिता का प्यार! पिता का प्यार अंतर्मुख है, अव्यक्त है, अप्रदर्शित है,मौन है...... परंतु घर का आधार स्तंभ है, पिता का प्यार। पिता कभी जताते नहीं, अपना प्यार। परंतु हर चीज में महसूस कर सकते हैं, हम उनके मजबूत प्रेम को बस,हमारे अंदर वह संवेदनशीलता होनी चाहिए। मां हमें खाना खाना सिखाती है मां का यह कोमल स्पर्श हमें हर पल याद रहता है, परंतु पिता! पिता, तो वह मजबूत स्तंभ है जो हमें जीवन भर खाना कमाकर खाने के लायक के बनाता है।       ऊपर से कठोर दिखते हैं परंतु किसलिए ? ताकि हम यानी उनकी संतान कभी किसी के सामने कमजोर साबित ना हो।  
हमें लायक बनाने के लिए कितनी कठोर तपस्या करते हैं कितनी मेहनत करते हैं इसका हमें अंदाजा ही नहीं होता हमें देखने की कोशिश ही नहीं करते बल्कि कभी-कभी तो हमें यह लगता है हमारे पिता कुछ ज्यादा ही कठोर है अरे वह कठोर नहीं है, वह तो नारियल है, ऊपर से कठोर और अंदर से केवल गिरी ही गिरी, केवल नरम-मुलायम, केवल प्यार ही प्यार।
पूरी दुनिया स्पर्धा से भरी हुई है सब एक दूसरे की टांग खींचते हैं नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं परंतु दुनिया में एक शख्सियत ऐसी है जो अपने से भी ऊपर हम लोगों को देखना चाहती है और वह है हमारे पिता। और अपने से ऊपर देखने के लिए उन्होंने ना जाने अपने कितने सपने कुर्बान कर दिए अपने कितनी ख्वाहिशें  अपने दिल में ही दफन कर दी ।
हम इस बात का अंदाजा ही नहीं लगा पाते। कभी तो सोच कर देखिए तब हमारा मन खुद के लिए दुख और ग्लानि से भर उठेगा और पिता के लिए श्रद्धा से झुक जाएगा। आओ ! उसी श्रद्धा को हमेशा के लिए हमारे मन में बना कर रखें और अपने पिता को आदर के साथ निवेदन करें-
    हे पिता ! आप वटवृक्ष हमारे,
    जहां हमें आश्रय मिलता।
    बड़भागी देखो हम कितने,
    श्री चरणों में जीवन पलता।
- सुमन लता शर्मा/कवयित्री एवं लेखिका

Tags: