महामारी की मार : यह पिता अब तक नहीं बता रहा अपनी मासूम बच्चियों को की उनकी माँ नहीं रही

महामारी की मार : यह पिता अब तक नहीं बता रहा अपनी मासूम बच्चियों को की उनकी माँ नहीं रही

मासूम बेटियाँ रोज पूछती है कहाँ है माँ?, मृत्यु के कुछ दिन पहले ही हुई थी एक और बेटी

कोरोना महामारी के दौरान भारत भर में हजारों लोगों ने अपने परिजनों को खोया है। किसी ने अपने माता-पिता तो किसी ने अपने हमसफर को कोरोना के कारण गंवा दिया है। वयस्क तो अपने परिजनों की मृत्यु को विधी का विधान मानकर स्वीकार कर भी लेते है। पर मासूम बच्चों को इसके बारे में नहीं पता। उन्हें तो लगातार अपने घर में उस व्यक्ति की कमी खलती रहती है। उसमें भी यदि वह व्यक्ति उनकी माता हो तो बात कुछ और ही हो जाती है। जो बच्चे बिना पाने माता के एक पल भी नहीं रह सकते, उनको अगर यह पता चला की उनकी माता अब कभी भी उनसे नहीं मिल पाएगी। तो उनकी क्या हालत होगी इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। कुछ ऐसा ही हुआ अल्तुफ शम्शी के साथ, जब उनकी पत्नी की कोरोना के कारण मृत्यु हो गई। 
अपनी साथ हुई इस दुख की घटना को bbc.com के साथ शेयर करते हुये अल्तुफ कहते है की उनकी पत्नी रेहाब गर्भवती थी। जिसके चलते उनके डॉक्टर ने उन्हें 22 अप्रैल के पहले अस्पताल में दाखिल होने कहा। उन्होंने कहा की वह अस्पताल में भर्ती होने के बाद जल्द ही डिलिवरी करवाना चाहते थे। रेहाब ने अस्पताल के नियमों के अनुसार कोरोना टेस्ट करवाया, जो की पॉज़िटिव आया। पूरा परिवार यह सुनकर काफी शोक हो गया। रेहाब के कोरोना संक्रमित होने के कारण उनके डॉक्टर ने उन्हे बालक की डिलिवरी कुछ समय बाद करने की सलाह देकर फिलाहल रेहाब के कोरोना के इलाज पर ध्यान देने कहा। 
कुछ ही दिनों के बाद रेहाब को काफी बुखार आया, जिसके चलते उसे अस्पताल में भर्ती किया गया। दूसरे दिन डॉक्टर ने उन्हें कहा की शायद रेहाब को अपना बालक खोना पड़े, क्योंकि उसकी दवाइयाँ काफी भारी है। शाम को रेहाब की तबीयत बिगड़ी और उसे ऑक्सीज़न पर रखना पड़ा। इस दौरान डॉक्टरों ने इमर्जन्सी सिजेरियन डिलिवरी करने के निर्णय लिया। हालांकि अस्पताल में रेहाब के पूर्ण कोविड ट्रीटमेंट की व्यवस्था नहीं थी, इसलिए अस्पताल ने उन्हें दूसरे अस्पताल में आईसीयू बेड ढूंढ लेने कहा।  
(Photo Credit : bbc.com)

यह समय अल्तुफ के लिए काफी खराब था, क्योंकि इसी समय उसके पिता की दिल्ली की अन्य एक अस्पताल में कोरोनाका इलाज करवा रहे थे। इसके अलावा उनकी माता का भी घर पर ऑक्सीज़न सपोर्ट के साथ इलाज चल रहा था। इसी बीच 29 अप्रैल को रेहाब को पुत्री हुई, पर अब तक वह आईसीयू बेड नहीं ढूंढ पाये थे। जिसके चलते अपताल ने रेहाब को कामचलाऊ आईसीयू पर शिफ किया था। अब अल्तुफ खुद भी कोरोना पॉज़िटिव हो गए। हालांकि अंत में अल्तुफ को एक अस्पताल मिला, जहां उसने पनि पति को भर्ती किया। पर वहाँ भी ऑक्सीज़न के सिलिन्डर की व्यवस्था करनी पड़ रही थी। इसी बीच अल्तुफ को फोन आया की उनके पिता की मृत्यु हो गई है। 
इसके बाद कुछ दिन तक रेहाब की हालत स्थिर रही। पर एक दिन उन्हें रात को 11 बजे फोन आया और उन्हें तुरंत ही अस्पताल पहुँचने के लिए कहा गया। जहां उन्हें जानकारी दी गई की हृदय संबंधित समस्याओं के कारण रेहाब की मृत्यु हो गई है। अल्तुफ के पैरों तले से जमीन खिसक गई, उन्हें यकीन नहीं हो रहा था की उनकी पत्नी अब सच में इस दुनिया में नहीं रही। उन्हें आशा थी की वह जल्द ही अपनी पत्नी से मिलेगे, पर उनकी यह आशा अब पूरी तरह से टूट गई। 
उनकी बेटियाँ आज भी उनसे पूछती है की उनकी मम्मी कहा है? पर वह उन्हें नहीं बता पा रहे की उनकी मम्मी अब कभी नहीं आएगी। आज भी वह अपनी बेटियों को यही कह रहे है की उनकी माता अभी भी अस्पताल में है। उन्हें यह समज ही नहीं आ रहा की वह किस तरह से अपनी बेटियों से इस बारे में बात करे। उनके नवजात बालक को संभालने में भी उनकी बहन मदद कर रही है।