इस वजह से बढ़ रहा है ग्रामीण इलाकों में कोरोना, युवती द्वारा किए सर्वे की यह आई रिपोर्ट

इस वजह से बढ़ रहा है ग्रामीण इलाकों में कोरोना, युवती द्वारा किए सर्वे की यह आई रिपोर्ट

टेस्टिंग और टीकाकरण को लेकर गाँव वालों में फैली है कई भ्रांतियाँ

राज्य में कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामलों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वर्तमान में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के सकारात्मक मामलों की संख्या बढ़ रही है। शहर और गांव दोनों के लिए बहुत घातक साबित हुई है। ऐसे में एक युवती ने रणकांठा के कई गांवों में कोरोना के संचरण में वृद्धि के पीछे और गांव में कोरोना के मामले क्यों बढ़ रहे हैं, इसका सर्वेक्षण किया। 
गुजरात विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के प्रमुख डॉ. प्रदीप प्रजापति ने गोहिल नाम की एक युवती को एक काम सौंपा था। जिसमें उसे कहा गया था कि कोरोना की दूसरी लहर से कोरोना संक्रमणों की संख्या में वृद्धि हुई है, मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है और ग्रामीण इलाकों में संक्रमण के और फैलने का कारण क्या है, इस बारे में जांच कि जाये। इसके चलते डॉ. रंजन गोहिल ने व्यक्तिगत रूप से रणकांठा के लगभग 40 गांवों का दौरा किया और दो माह में सभी का सर्वेक्षण किया।
डॉ. रंजन गोहिल ने सर्वेक्षण में पाया गया कि गांवों में कई लोग सामाजिक दूरी और मास्क के नियमों का पालन नहीं करते हैं। इसके अलावा गांव में शादी या मौत के मौके पर लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं, यहां तक ​​कि को बीमार भी हो जाता है तो उसके घर पर भी वह जाकर उनका हाल जानते है। कुछ लोग तो बाजार में खरीदारी करने और आतिथ्य का आनंद लेने के लिए भी जाते हैं तथा शाम को भी गांव के चौराहे के पास इकट्ठा हो जाते हैं। इसके अलावा गाँव वाले कोरोना टेस्ट करवाने के बाद उन्हें सीधा ही अस्पताल ले जाने के कारण भी डरे हुये है। 

सर्वेक्षण के विवरणों में यह बात भी सामने आई है कि ग्रामीणों में यह मानसिकता घर कर गई है कि अस्पताल में डॉक्टर मरीज को मौत का इंजेक्शन देता है और परीक्षण के दौरान नाक में से खून खींचा जाता है। इसलिए लोग जांच करवाने से कतरा रहे है। गांवों में टीकाकरण को बढ़ावा क्यों नहीं मिल रहा इस बारे में पता करने पर उन्हों ने पाया कि लोगों में भ्रम है कि टीकाकरण के बाद लोगों को बुखार हो जाता है और लोग इससे मर जाते हैं और इस वजह लोग टीका नहीं ले रहे।  डॉ. रंजन गोहिल लोगों में मौजूद मान्यताओं को हटाकर लोगों को सामाजिक दूरी और मास्क के नियमों का पालन करने के लिए राजी कर रहे हैं।
डॉ. रंजन गोहिल ने कोरोना को लेकर लोगों में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए पाटडी के कोविड केयर सेंटर में कोरोना पॉजिटिव मरीज और डॉक्टर के साथ भोजन कर लोगों में से कोरोना के डर को भागने का एक संदेश दिया है। इसके अलावा डॉ. रंजन गोहिल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं के साथ कोरोना के मरीजों की सेवा की और उन्होंने अपने घर पर नीम के पानी का काढ़ा बनाकर मीठाघोड़ा समेत रेगिस्तानी इलाकों में सरपंच समेत गांव के युवाओं को काढ़ा भी बांटा। 

डॉ. रंजन गोहिल ने कहा कि गांव के एक युवक के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद इलाज के अंत में उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। फिर भी कुछ ग्रामीण उससे बात नहीं करते और इस आदमी से दूर भाग जाते हैं। इसलिए वह इन सभी मान्यताओं को मिटाने और लोगों में कोरोना के बारे में जागरूकता लाने का प्रयास कर रहा हूं और आने वाले दिनों में भी मैं इन प्रयासों को जारी रखूंगा। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए डॉ. रंजन गोहिल ने लोगों को समय पर दवा लेने, धूप में बैठने, मोबाइल पर गाने सुनने, अच्छे नाटक देखने, योग करने, परिवार से बात करने और पंद्रह से बीस मिनट उल्टा सोने की सलाह भी दी।