अफगानिस्तान की अराजकता के कारण सूरत के कपड़ा निर्यातकों को हो सकता है 400 करोड़ का नुकसान

अफगानिस्तान की अराजकता के कारण सूरत के कपड़ा निर्यातकों को हो सकता है 400 करोड़ का नुकसान

हर महीने पाकिस्तान और दुबई होकर जाता है 100 करोड़ का तैयार माल

अफगानिस्तान में फैली हुई अनिश्चिता और अराजकता के बाद तालिबान द्वारा देश पर अधिग्रहण की असर सूरत पर भी देखने मिल रही है। सूरत के कपड़ा उत्पादकों और निर्यातकों के अनुसार, जहां एक और अशांति का शिकार हुये देश में व्यापार का नुकसान तो होगा ही पर बिगड़ी हुई परिस्थिति को देखते हुए सबको भीती है कि कपड़ा निर्यातकों का जो 400 करोड़ का पेमेंट अटका हुआ है वह जल्दी नहीं आएगा। 
सूरत में बने पंजाबी सूट और दुपट्टे की पाकिस्तान और अफ़्घानिस्तान में काफी मांग है। कुछ साल पहले तक तो अफगानिस्तान के व्यापारी अकसर सूरत में कपड़ों का चयन करने के लिए व्यक्तिगत तौर पर आते रहते थे। इसके बाद दिल्ली में अपने व्यापारिक सहयोगियों के माध्यम से उन्हें पेमेंट करते थे। एक अनुमान के अनुसार हर महीने पाकिस्तान और दुबई होकर तकरीबन 100 करोड़ का तैयार कपड़ा अफगानिस्तान जाता है। 
विभिन्न निर्यातकों के लिए काम करने वाले एक ब्रोकर राजू भाटिया ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुये बताया कि आम तौर पर कपड़ा मार्केट में तीन महीने की क्रेडिट अवधि होती है। पर दुबई या पाकिस्तान होकर अफगानिस्तान जाने वाली वस्तुओं का भुगतान तीन से चार महीनों में होता है। हालांकि अफगानिस्तान के कारण चल रही अशांति के कारण निर्यातकों का करीब 400 करोड़ रुपए का पेमेंट अटका हुआ है। गारमेंट निर्माता और निर्यातक गुरपाल सिंह ने कहा कि शहर में निर्मित सूट की गुणवत्ता और विविधता के कारण इसकी काफी मांग है। पर अनियमित आपूर्ति शृंखलाओं के कारण कोई भी अभी आपूर्ति का जोखिम नहीं लेना चाहता। 
कपड़ा निर्माता रवि जैन ने कहा कई निर्यातकों को भारी नुकसान हुआ है। अभी किसी को भी नहीं पता की स्थिति कब सुधरेगी। उन्हें भी पिछले कई ऑर्डर का भुगतान नहीं मिला था, जिसके कारण उन्होंने पिछले कई महीनों से उनसे व्यापार बंद कर दिया था। सूरत मर्केंटाइल एसोशिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र साबू ने कहा कि अभी स्थिति अप्रत्याशित है। अफगान की बुरी स्थिति का असर सूरत के कपड़ा कारोबार पर भी काफी असर हो रहा है। 
 
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