9 दिसंबर: जब एक रानी ने कुतुबमीनार से कूदकर की थी आत्महत्या, साथ में उसके दो पालतू कुत्ते

9 दिसंबर: जब एक रानी ने कुतुबमीनार से कूदकर की थी आत्महत्या, साथ में उसके दो पालतू कुत्ते

चेक गणराज्य की मूल निवासी रानी तारा देवी उर्फ़ यूजेनिया मारिया ग्रोसुपोवई कपूरथला के महाराजा जगजीत सिंह की छठी पत्नी थीं

दिल्ली की कुतुब मीनार शहर की शान है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि करीब 75 साल पहले कपूरथला की रानी तारा देवी ने अपने 2 पालतू कुत्तों के साथ कुतुब मीनार से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। चेक गणराज्य की मूल निवासी रानी तारा देवी का मूल नाम यूजेनिया मारिया ग्रोसुपोवई था। वह कपूरथला के महाराजा जगजीत सिंह की छठी पत्नी थीं। दोनों की मुलाकात फ्रांस में हुई थी। मारिया के माता-पिता अभिनेता थे और ईसाई धर्म का पालन करते थे। मारिया बहुत खूबसूरत थी। महाराज जगजीत सिंह जब यूरोप पहुंचे तो उनकी सुंदरता पर मोहित हो गए।
इसके बाद महाराजा ने मारिया के माता-पिता से बात की और उन्हें शादी के लिए राजी किया। उन्होंने उपहार में लाखों रुपये भी दिए। माता-पिता के मान जाने के बाद यूजेनिया मारिया ग्रोसुपोवई 1942 में महाराज जगजीत सिंह के साथ भारत पहुंचीं। कपूरथला पहुंचने पर सिख रीति-रिवाज से दोनों की शादी की गई। शादी के बाद उनका नाम बदलकर रानी तारा देवी कर दिया गया।
इतिहासकारों के अनुसार रानी तारा देवी अपनी शादी से ज्यादा खुश नहीं थीं। इसका कारण उनके और महाराजा के बीच उम्र का फासला था। महाराज शांत स्वभाव के थे। जब रानी तारा देवी छोटी थीं। धीरे-धीरे दोनों के बीच दूरियां बढ़ती गईं। वर्ष 1946 में रानी तारा देवी अपने 2 पालतू कुत्तों और कर्मचारियों के साथ दिल्ली पहुंचीं। वह करीब 1 महीने तक दिल्ली के एक होटल में रही। 9 दिसंबर को वह अपने कर्मचारियों के साथ कुतुब मीनार देखने गई। अपना हैंडबैग अपने ड्राइवर को देकररानी अपने दो पालतू कुत्तों के साथ कुतुब मीनार में टहलने लगी।
अचानक रानी तारा देवी ने अपने दो पालतू कुत्तों के साथ कुतुब मीनार पर चढ़ने का फैसला किया। वह धीरे-धीरे ऊपर चढ़ गई और ऊपर पहुंच गई और वहां से अपने दोनों कुत्तों के साथ कूद पड़ी। इस घटना में रानी तारा देवी और उनके दो पालतू कुत्तों की मौत हो गई। जब महाराज जगजीत सिंह को इस बात का पता चला तो वे अंदर से टूट पड़े और सदमे में जीने लगे। 3 साल बाद 1949 में सदमे से उनकी भी मौत हो गई। आज 9 दिसंबर को रानी तारा देवी के कुतुबमीनार से कूदने की 75वीं वर्षगांठ है।