दिवाली के दौरान ही बढ़ सकता है कोरोना संक्रमण, वैज्ञानिकों ने जताई ये आशंका

दिवाली के दौरान ही बढ़ सकता है कोरोना संक्रमण, वैज्ञानिकों ने जताई ये आशंका

कोरोना संबंधित सरकारी समिति के वैज्ञानिक ने व्यक्त की आशंका, नए म्यूटेंट ना आने की स्थिति में अगस्त तक स्थिति सामान्य हो जाने का अनुमान

देश भर में कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने काफी कहर मचाया है। हालांकि धीरे धीरे अब सभी राज्यों में दूसरी लहर के केस आना कम हो गए है। देश भर में जिस समय कोरोना लहर अपने चरम पर था, अधिकतर राज्यों में जो दृश्य थे वह किसी भी इंसान को डराने के लिए काफी थे। हालांकि दूसरी लहर के केस कम हो गए है, पर विशेषज्ञों ने सरकार और आम प्रजा को तीसरी लहर के लिए भी तैयार रहने के लिए चेतावनी दी है। 
ऐसे में कोरोना से संबंधित एक सरकारी समिति के वैज्ञानिक द्वारा जो आशंका व्यक्त की गई है वह वाकई काफी चिंता में डालने वाली है। मनिंद्र अग्रवाल जो की कोरोना से जुड़े हुए गाणितीक अनुमान की सरकारी समिति के सदस्य है, उन्होंने बताया कि यदि कोरोना गाइडलाइन का पालन योग्य तौर पर नहीं किया गया तो हो सकता है कि दिवाली के आसपास ही कोरोना की तीसरी लहर अपने चरम पर हो।
उनके अनुमान के अनुसार यदि कोरोना वायरस की तीसरी लहर अक्टूबर-नवंबर के दौरान अपने चरम पर पहुंच सकती है हालांकि दूसरी लहर के मुकाबले फिर भी केस आधे ही देखने मिलेंगे। मनिंद्र के कहने के अनुसार कोरोना का यदि कोई भी नया वेरिएंट सामने आता है तो तीसरी लहर का संक्रमण फैल सकता है। मनिंद्र ने कहा कि उन्होंने तीन तरह के अनुमान किए हैं, आशावादी, मध्यवर्ती और निराशावादी।   

मनिंद्र ने कहा कि उनके आशावादी अनुमान के अनुसार यदि कोई नया म्यूटेंट नहीं आया तो अगस्त तक सभी स्थिति सामान्य हो जाएंगी। उनका दूसरा अनुमान मध्यवर्ती है। जिसके अनुसार यदि टीकाकरण का दर अनुमानित धारणाओं से 20% तक कम रहता है संक्रमण कुछ हद तक फैल सकता है। हालांकि उनका तीसरा अनुमान काफी भयानक है, जिसके अनुसार 25% से अधिक संक्रमण फैल सकता है। वैज्ञानिक ने कहा कि निराशावादी परिदृश्य के स्थिति में तीसरी लहर के दौरान देश में 1,50,000 से 2,00,000 तक केस आ सकते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि जितना जल्दी टीकाकरण होगा, उतनी ही जल्दी तीसरी और चौथी लहर की आशंका कम हो जाएंगी। 
बता दें कि आईआईटी हैदराबाद के वैज्ञानिक एम विद्यासागर भी इस मॉडलिंग समिति के शामिल है। जिन्होंने बताया कि तीसरी लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम हो सकती है। जिसके लिए उन्होंने ब्रिटेन का उदाहरण भी दिया। जहां जनवरी में 60 हजार से अधिक केस दर्ज हुये थे, जहां दैनिक मृत्यु की संख्या 1200 जितनी थी। हालांकि चौथी लहर के दौरान यह संख्या कम होकर 21 हजार हो गई और सिर्फ 14 मौत हुई।