कोरोना महामारी का कहर, राज्य में कई मासूमों ने गंवाया माता-पिता का छत्र

कोरोना महामारी का कहर, राज्य में कई मासूमों ने गंवाया माता-पिता का छत्र

मात्र राजकोट के ही 44 नवजात ने गंवाई माता-पिता की छत्र

कोरोना की दूसरी लहर भले ही अब धीरे धीरे कम हो रही है। पर उसके कारण हुई लोगों के जीवन में होने वाली तकलीफ़ अभी भी नहीं गई है। महामारी के दौयरन कई लोगों की जान गई। कई लोगों ने अपने पुत्र, अपने पति और अपनी संतानों को गंवाया है। बड़ी उम्र के समझदार लोग तो इस बात को समज सकते है, पर मासूम बालकों को तो इस बात का पता ही नहीं होता। कोरोना के कारण नवजात बालकों ने अपने माता-पिता को गंवाया है। ऐसे कई मामले सामने आए है, जहां बालक बोल्न सीखे उसके पहले ही उसके माता-पिता कोरोना के कारण मृत्यु को प्राप्त हुये थे। 
अकेले राजकोट में ही लगभग 44 छात्र ऐसे है, जिसके माता और पिता दोनों की मृत्यु हो गई है। इसके अलावा 193 संतान ऐसे है, जिसके माता या पिता किसी एक की मौत हुई है। पहला मामला राजकोट के शियाल परिवार का है, जहां 3 संतानों को कोरोना की एक लहर ने रोड पर ला दिया। माता-पिता की मृत्यु के बाद अब तीनों संतान अपनी दादी के साथ रहते है। जिसके बाद 15 साल का भाई लव और 16 साल की बहन उर्वीशा की सभी ज़िम्मेदारी बड़ी बहन पर आ गई है। बड़ी बहन कहती है कि पहले तो सुबह माँ ही उठाती थी। पर अब उसे ही सुबह उठकर दोपहर कि रसोई भी बनानी होती है। माता के नहीं होने पर माँ जहां काम करती थी, वही नर्स के तौर पर काम कर के अपनी आत्मा को राजी रखती हु। 
अन्य एक मामले में राजकोट के संतोषीनगर में रहने वाले सवासड़िया परिवार भी कोरोना के कारण नेस्तानाबूद हो चुका है। रमेशभाई और नीताबेन दोनों ही मात्र 12 दिन के अंतराल में मृत्यु को प्राप्त हुये थे। रिक्शा चलाकर अपने दोनों पुत्र को संभालने वाले दिनेशभाई के सर पर अब अपने भाई के तीन पुत्रों की कमी नहीं होने देती। माता-पिता की विदाई के बाद ढाई महीने होने के बाद भी दिनेशभाई ने आज तक उन्हें पिता की कमी नहीं खलने नहीं दी है। 
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 20 वर्षीय अपेक्षा और 16 साल के आयुष ने अपने माता और पिता दोनों को गंवाया है। 6 अप्रैल को पिता कल्पेशभाई और उसके बाद माता का भी थोड़े ही दिनों में माता की भी मौत हुई थी। मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाली अपेक्षा कहती है कि उनके सपने तो आज भी है। दोनों फिलहाल क्रिस्टल मोल के पास भाड़े के घर में ही रहते है। वह हर दिन घर से निकलने के पहले अपनी माता-पिता के सामने से अपना शीश झुका कर घर से बाहर निकलती है। 
ऐसे ही और भी कई परिवार है, जिन्होंने कोरोना के कारण अपने माता-पिता को गंवा दिया है। जिसके कारण उन्हें कई तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है।